HC ने कहा- मौजूदा पुलिस पर काम का भारी बोझ, मानव तस्करी रोकने बनें विशेष बल

HC ने कहा- मौजूदा पुलिस पर काम का भारी बोझ, मानव तस्करी रोकने बनें विशेष बल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-20 14:40 GMT
HC ने कहा- मौजूदा पुलिस पर काम का भारी बोझ, मानव तस्करी रोकने बनें विशेष बल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मानव तस्करी को रोकने को लेकर राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को अपर्याप्त बताया है। हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा पुलिसकर्मियों पर पहले से कानून व्यवस्था नियंत्रण, आपराधिक मामलों की जांच व बंदोबस्त ड्यूटी सहित दूसरे कार्यों का दबाव होता है इन्ही पुलिसकर्मियों को मानव तस्करी से जुड़े मामले की जिम्मेदारी सौपना उचित नहीं है। लिहाजा राज्य व केंद्र सरकार मिलकर मानव तस्करी को रोकने के लिए विशेष पुलिस अधिकारियों कि नियुक्त व जांच दल का गठन करे। इन पुलिस अधिकारियों को क्षेत्राधिकार के बंधन से मुक्त रखा जाए।

गैर सरकारी संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की
मानव तस्करी को रोकने व तस्करी में लगे लोगों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने को लेकर रेस्क्यू फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील चेतन माली ने कहा कि हर साल हजारों की संख्या में बच्चे लापता होते हैं। जिनकी तलाश को लेकर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते है। इसके अलावा पुलिस चकला घर चलानेवालों के खिलाफ कार्रवाई करती है पर मानव तस्करी में लगे लोगों तक नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि फिलहाल तो पुलिस की कार्रवाई चकला घरों से पकड़ी जानेवाली लड़कियों को बचाने तक सीमित है।

कानून के मुताबिक मानव तस्करी को रोकने के लिए केंद्र सरकार को ह्युमन ट्रैफिकिंग अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए। इस दिशा में केंद्र सरकार को जरुरी कदम उठाने चाहिए लेकिन अब तक इन अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर कुछ नहीं हुआ है। राज्य सरकार ने भी मानव तस्करी पर लगाम लगाने के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की है।

सहायक सरकारी वकील ने मांग वक्त
केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रही सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों से बातचीत की है लेकिन उन्हें कोई निर्देश नहीं मिले। सहायक सरकारी वकील ने भी मामले को लेकर जवाब देने के लिए समय कि मांग की। इस पर खंडपीठ ने सरकारी वकील को कहा कि वे इस विषय को लेकर गृह तथा विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव से चर्चा करें। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार ने जो कदम उठाए है वे पर्याप्त नहीं है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है। 

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