जेलों में सुधार वाली कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया, हाईकोर्ट नाराज

जेलों में सुधार वाली कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया, हाईकोर्ट नाराज

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-08 16:47 GMT
जेलों में सुधार वाली कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया, हाईकोर्ट नाराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने जेल की स्थिति सुधारने को लेकर पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी का कार्यकाल बढाए जाने पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि इस कमेटी को बनाने का निर्देश अदालत ने दिया था फिर सरकार ने कमेटी के कार्यकाल को कैसे बढा दिया? हमे कार्यकाल बढाने पर आपत्ति नहीं पर पहले सरकार को कोर्ट को इसकी सूचना देनी चाहिए थी। यदि जरुरत होती तो हम खुद कमेटी के कार्यकाल को बढाने का आदेश देते। इस तरीक से कमेटी का कार्यकाल नहीं बढाया जा सकता है। फिर भी हमे अगली सुनवाई के दौरान बताया जाए कि अब तक कमेटी ने क्या प्रगति की है और क्या कमेटी की रिपोर्ट तैयार हो गई है? 

अदालत ने पूछा- कार्यकाल बढ़ाने के लिए हमसें क्यों नहीं पूछा
जेल में बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर अदालत नामक गैर सरकारी संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को जेल की स्थिति सुधारने के लिए कई आदेश दिए थे। इन आदेशों का कितना पालन हुआ है। इसको लेकर न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति एके मेनन की खंडपीठ के सामने सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि राज्य में जेल से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी के कार्यकाल को 6 महीने बढ़ा दिया गया है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह कमेटी अदालत के निर्देश पर गठित हुई थी। इसलिए कमेटी के कार्यकाल को बढाने से पहले सरकार को हाईकोर्ट को जानकारी देनी चाहिए थी और अदालत की अनुमति के बाद ही कार्यकाल को बढाना चाहिए था। इस तरह से सीधे कार्यकाल नहीं बढाया जा सकता है। 

याचिका में दावा, जेल में क्षमता से अधिक कैदी
याचिका में दावा किया गया था कि जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जाता है। इसके अलावा राज्य की जेलों में पर्याप्त संख्या में स्नानगृह व शौचालय नहीं है। इस याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने भविष्य की जरुरतों का ध्यान रखते हुए राज्य सरकार को नए जेलों के निर्माण का आदेश दिया था। इसके लिए कमेटी भी गठित करने का निर्देश दिया था। इस दौरान सरकारी वकील ने एक हलफनामा भी दायर किया जिसमें कहा गया था कि सरकार ने कुछ जगहों पर जेल के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की है। हाईकोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 21 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

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