हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त शिक्षिका को दी राहत, पैसे की वसूली का आदेश रद्द

हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त शिक्षिका को दी राहत, पैसे की वसूली का आदेश रद्द

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-14 12:42 GMT
हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त शिक्षिका को दी राहत, पैसे की वसूली का आदेश रद्द

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सेवानिवृत्त के बाद पैसे की वसूली से परेशान एक शिक्षिका को बांबे हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने वसूली के निर्णय को रद्द करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद पैसे की वसूली को लेकर दिया गया आदेश नियमों के खिलाफ है। जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने ग्रेसी जार्ज की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। जार्ज की 1970 में सहायक शिक्षिका के रुप में नियुक्ति की गई थी। फरवरी 2010 में वे सेवानिवृत्त हुई। उस समय उनका वेतन नौ हजार दो सौ रुपए था। लेकिन अगस्त 2011 में जब जार्ज को पेंशनबुक दी गई तो उसमें उनका आखरी वेतन सात हजार चार सौ 10 रुपए दर्शाया गया था। इसके साथ मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने उनसे(जार्ज) एक लाख 40 हजार रुपए वसूल करने का भी आदेश दिया गया था।  

सेवानिवृत्त शिक्षिका को राहत 
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील राहुल वालिया ने मनपा प्रशासन के पेंशन बुक में कम वेतन दर्शाने व वसूली के आदेश को नियमों के विपरीत बताया और उसे रद्द करने का आग्रह किया। जिसका मुंबई मनपा के वकील ने विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता एक प्रशिक्षित शिक्षिका नहीं थी इसलिए उनके वेतन को घटाया गया है। शुरुआत में उन्हें जो वेतन दिया जाता था वह प्रशिक्षित शिक्षिका वेतन था। योग्यता के लिहाज से वे इसकी हकदार नहीं थी।  

सेवानिवृत्त के बाद पैसे की वसूली के आदेश को किया रद्द 
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद व इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि मनपा प्रशासन ने याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्त के करीब डेढ साल बाद उसके वेतन को घटाया और पैसे की वसूली का आदेश जारी किया है। नियमों के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता है। लिहाजा मनपा प्रशासन की ओर से पैसे की वसूली व वेतन घटाने के संबंध में जारी किए गए आदेश को रद्द किया जाता है और याचिका स्वीकार की जाती है।  
 

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