हाईकोर्ट : आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ कोचर की याचिका खारिज

हाईकोर्ट : आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ कोचर की याचिका खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-05 15:10 GMT
हाईकोर्ट : आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ कोचर की याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई  बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) व प्रबंध निदेशक चंद्रा कोचर की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक एक निजी निकाय है। इसलिए हम उसे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। कोचर ने पिछले साल बैंक की ओर से जारी किए गए बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति नितिन जामदार व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक कोई राज्य का निकाय नहीं हैं। इस बैंक को सरकार से कोई सार्वजनिक निधि नहीं मिलती। याचिकाकर्ता की सेवा ठेके के तहत जुड़ी नियमों व शर्तों के तहत थी। याचिकाकर्ता की एक निजी सेवा में थी। उसके नियोक्ता के साथ संबंध ठेके से संबंधित नियमों व शर्तों के तहत थे। वे बैंक में किसी सार्वजनिक दायित्व का निर्वहन नहीं कर रही थी। इसलिए उनकी याचिका को खारिज किया जाता हैं।इससे पहले सुनवाई के दौरान  कोचर की ओर से पैरवी करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम ननकानी ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल को सेवा से बर्खास्तगी का निर्णय बैंकिग रेग्युलेशन कानून की धारा 35 बी के खिलाफ है। उन्हें सेवा बर्खास्त करते समय वैधानिक नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए कोचर को नौकरी से निकालने के निर्णय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है और कोर्ट का हस्तक्षेप अपेक्षित हैं। जबकि बैंक की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया कि कोचर की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कोचर की नियुक्ति ठेके पर की गई थी। वे एक निजी संस्थान में कार्यरत थी। इसलिए उनके बर्खास्तगी के आदेश की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है। बैंक ने सेवा से जुड़ी शर्तों के तहत ही कार्रवाई की है।  वीडियोकान कंपनी को कर्ज से जुड़े कथित विवाद में चंद्राकोचर का नाम सामने आया था। 

 

टिक-टाक पर पांबदी की मांग वाली याचिका हो खारिज

वहीं सोशल मीडिया के चर्चित ऐप टिक-टाक पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका को बांबे हाईकोर्ट से खारिज करने का आग्रह किया गया हैं। यह मांग टिक-टाक कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने की हैं। टिक-टाक पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर मुंबई निवासी हिना दरवेश ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की हैं। याचिका में दावा किया गया है कि टिक-टाक युवाओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा हैं। और इसके चलते लोग आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम भी उठा रहे हैं। लिहाजा सरकार को टिक-टाक पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया जाए।गुरुवार को यह याचिका कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति  एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान टिक-टाक का परिचालन करनेवाली कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री साठे ने कहा कि सूचना प्रद्यौगिकी कानून (आईटी) एक्ट के तहत यदि किसी को आनलाइन वीडियों को लेकर परेशानी है तो वह नोडल अधिकारी के पास अपनी शिकायत कर सकता है। इसलिए सीधे टिक-टाक पर प्रतिबंध लगाने की जरुरत नहीं है। क्योंकि आपत्तिजनक वीडियों को लेकर शिकायत के लिए एक व्यवस्था बनाई गई हैं। इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को हलफनामे में अपना जवाब देने को कहा और मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

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