हाईकोर्ट ने पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड से पूछा- कोरोना से निपटने कितने पैसों की जरुरत, मुख्य न्यायधीश बने धर्माधिकारी
हाईकोर्ट ने पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड से पूछा- कोरोना से निपटने कितने पैसों की जरुरत, मुख्य न्यायधीश बने धर्माधिकारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड से जानना चाहा है कि उसे जानलेवा कोरोना वायरस से निपटने के लिए कितनी निधि की जरुरत है। हाईकोर्ट ने बोर्ड को इस बारे में हलफनामा दायर करने कहा है। हलफनामे में उसे अपनी बैलेंस सीट के साथ अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया है। हाईकोर्ट में बोर्ड व एक अन्य व्यक्ति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में बोर्ड ने कहा है कि जीएसटी से जुड़ी उसकी हिस्सेदारी का भुगतान न किए जाने के चलते उसकी वित्तीय हालत ठीक नहीं है। उसके पास साफ-सफाई व रोजाना का काम करनेवालों को वेतन देने के लिए निधि नहीं है। निधि के अभाव में वह कोरोना के नियंत्रण के लिए भी उचित कदम नहीं उठा पा रहे है।
शुक्रवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि पुणे महानगरपालिका के मार्फत बोर्ड को मेडिकल से जुड़ी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए कई अस्पतालों में अलग वार्ड बनाए गए हैं। इसके साथ ही 125 लोग बोर्ड परिसर पर लगातार गश्त करेंगे। बोर्ड के अधिकारी इस विषय पर पुणे मनपा के अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। इस बीच बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बोर्ड की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इस दौरान बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पत्र भी पेश किया गया। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 23 मार्च 2020 तक के लिए स्थगित कर दी।
बांबे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश बने धर्माधिकारी
वरिष्ठतम न्यायमूर्ति भूषण प्रद्युम्न (बीपी) धर्माधिकारी को शुक्रवार को राजभवन मे आयोजित एक समारोह के दौरान बांबे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद व गोपनीयता शपथ दिलाई गई। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें यह शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे, विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, विधानसभा के सभापति नाना पटोले, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, हाईकोर्ट के न्यायाधीश, राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी व राज्य के पुलिस महानिदेशक सुबोध जैसवाल, मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह के अलावा न्यायमूर्ति धर्माधिकारी के परिवार के सदस्य मौजूद थे। इससे पहले राज्य के मुख्य सचिव अजॉय मेहता ने श्री धर्माधिकारी की नियुक्ति को लेकर राष्ट्रपति की ओर से जारी की गई अधिसूचना को पढा। इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत हुई।
1980 में शुरु की थी वकालत
28 अप्रैल 1958 को जन्मे धर्माधिकारी ने 17 अक्टूबर 1980 को वकील के रुप में अपना पंजीयन कराया था और हाईकोर्ट में अपने वकालत की शुरुआत की थी। इस दौरान उन्होंने सिविल, संवैधानिक व श्रम कानून से जुड़े मामलों कि पैरवी की। लेकिन श्रम व सेवा से जुड़े मामलों में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की थी। मूलरुप से नागपुर के रहने वाले धर्माधिकारी 15 मार्च 2004 को उनकी हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रुप में नियुक्ति की गई थी। 12 मार्च 2006 को वे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायमूर्ति बने। पिछले माह मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग के सेवानिवृत्त होने के चलते उन्हें हाईकोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था।