बांबे हाईकोर्ट ने पूछा- निजी अस्पतालों की फीस पर कैसे नियंत्रण रखेगी सरकार

बांबे हाईकोर्ट ने पूछा- निजी अस्पतालों की फीस पर कैसे नियंत्रण रखेगी सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-15 10:46 GMT
बांबे हाईकोर्ट ने पूछा- निजी अस्पतालों की फीस पर कैसे नियंत्रण रखेगी सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कई बार ऐसा देखा गया है कि डॉक्टर अपनी फीस नहीं लेते है। लेकिन अस्पताल अपने दूसरे खर्च का हवाला देकर शुल्क माफ करने से इंकार करते है। सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रो वहां पर काम करने वाले डाक्टरों को तो नियंत्रित होता है। लेकिन निजी अस्पतालों के शुल्क को कैसे नियंत्रित करेगी। सरकार इस पहलू पर गंभीरता से विचार करे। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कही।  न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने अस्पतालो के मनमाने बिल का भुगतान न कर पाने की स्थिति में मरीज को बंदी बनाए जाने को आधार बनाकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार मरीजों के अधिकारों व अस्पताल तथा डाक्टरों के हितों के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में पहल करे। जिससे  किसी का नुकसान न हो। इस दौरान सरकार इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के प्रावधानों पर भी विचार करे। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि वे इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करेगे। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 6 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। 

सरकार की है होटलो-रेस्टोरेंट पर निगरानी कि जिम्मेदारी 

दूसरे मामले में बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि होटल, रेस्टोरेंट, बार व पब पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की भी है। यदि किसी रेस्टोरेंट व होटल में शराब परोसी जाती है। तो यह देखना सरकार के आबकारी विभाग का दायित्व है कि वहां पर नियमों का पालन हो रहा है अथवा नहीं। होटलों व रेस्टोरेंट की नियमित अंतराल पर जांच हो इसके लिए एक व्यवस्था का होना जरुरी है। न्यायमूर्ति आरएम बोर्ड व न्यायमूर्ति राजेश केतकर की खंडपीठ ने यह बात कमला मिल अग्निकांड को लेकर पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई है। खंडपीठ ने कहा कि न्यायिक जांच के मुद्दे पर वे गुरुवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश जारी करेंगे। 29 दिसंबर 2017 को कमला मिल स्थित मोजो ब्रिस्टो व वन अबव पब में लगी भीषण आग के चलते 14 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 30 लोग घायल हो गए थे। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कमला मिल की जमीन का इस्तेमाल सूचना प्रद्योगिकी क्षेत्र के लिए किया जाना अपेक्षित था लेकिन वहां पर बड़े पैमाने पर होटल, पब व रेस्टोरेंट के अलाबा अखबारों व चैनलों के कार्यालय खुले हैं। उन्होंने कहा कि राज्य का आबकारी विभाग भी होटलों को लाइसेंस जारी करता है। 
 

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