RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज बताने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजी

RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज बताने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-17 13:45 GMT
RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज बताने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजी

डिजिटल डेस्क,  मुंबई। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से जुड़े कार्यकताओं को वसूलीबाज व पेशेवर शिकायतकर्ता बताने के मामले में बांबे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर मुंबई महानगरपालिका ने RTI कार्यकर्ताओं को कौन से कानूनी प्रावधान के तहत वसूलीबाज व पेशेवर शिकायतकर्ता निरुपित किया है। जस्टिस आरएम बोर्डे की बेंच ने RTI व सामाजिक कार्यकर्ता कमलाकर शिनॉय की ओर से दायर जनहित याचिका पर गौर करने के बाद मुंबई मनपा को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आदित्य भट्ट ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) आयुक्त अजोय मेहता ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज ब्लैकमेलर व पेशेवर शिकायतकर्ता बताया है।

सूची तैयार करवा रहे आयुक्त 
इसके साथ ही मनपा आयुक्त ने कहा है कि उन्होंने एक परिपत्र जारी किया है और सात परिमंडल के मनपा उपायुक्तों को ऐसे RTI कार्यकर्ताओं की सूची तैयार करने को कहा है जो थोक में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी के लिए आवेदन करते हैं। इस विषय को लेकर एक परिपत्र भी जारी किया गया है, लेकिन जब मेरे मुवक्किल ने इस परिपत्र की प्रति मांगी तो उन्हें परिपत्र की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई। मनपा आयुक्त द्वारा RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज व पेशेवर शिकायतकर्ता बताने का बयान ऐसे कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा को प्रभावित करने वाला है। 

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि RTI कार्यकर्ता जनहित में जानकारी हासिल करते हैं। इस तरह RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज बताना संविधान व सूचना के अधिकार के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए मनपा ने यदि इस विषय में कोई परिपत्र जारी किया है तो उसे निरस्त किया जाए और मनपा आयुक्त के मीडिया में दिए गए बयान को वापस ले। इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने पूछा कि आखिर कौन से कानूनी प्रावधान के तहत मनपा आयुक्त ने RTI कार्यकर्ताओं को वसूलीबाज बताया है।

इस पर मनपा की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता तृप्ति पुराणिक ने कहा कि उन्हें इस मामले में जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे इस मामले की पैरवी  के लिए आने वाले हैं। इस बात को जानने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

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