रेप जैसे जघन्य अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता - हाईकोर्ट

रेप जैसे जघन्य अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता - हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-26 12:56 GMT
रेप जैसे जघन्य अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि नाबालिग के साथ हुए  बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। खास तौर से दिल्ली में 2012 में हुए निर्भयाकांड के बाद। यह कहते हुए हाईकोर्ट ने 18 साल पहले नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करनेवाले एक आरोपी की सजा को बरकरार रखा है। जस्टिस भारती डागरे ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। आरोपी पर 16 साल की नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का आरोप था। 

निचली अदालत ने उसे सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसे सुनवाई के बाद जस्टिस ने खारिज कर दिया। इसी के साथ ही जमानत पर रिहा आरोपी को जस्टिस ने पुणे कोर्ट में एक महीने के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। 

18 साल पहले दुष्कर्म के आरोपी की सजा को अदालत ने रखा बरकरार 
जस्टिस ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि नाबालिग लड़की को भी गरिमा के साथ जीने व लड़कों की तरह समान अवसर पाने का अधिकार है। ताकि वह आत्मनिर्भर होकर स्वतंत्रता के साथ अपना जीवन जी सके। अपील में आरोपी ने दावा किया था कि उसने पीड़िता के साथ सहमति से संबंध बनाए थे। और लड़की की उम्र 18 साल थी। जबकि अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि पीड़ित लड़की की उम्र 16 साल की थी और आरोपी ने उसके साथ जबरन संबंध बनाए थे। यह बात पीड़ित लड़की के बयान से साबित होती है।

इन दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे जाकर आरोपी पर लगे आरोपों को साबित किया है इसलिए अपील को खारिज किया जाता है। जस्टिस ने कहा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। दिल्ली के निर्भायाकांड के बाद देश की संसद ने बलात्कार जैसे अपराध के लिए कानून में संसोधन किए और कड़ी सजा का प्रावधान किया।  
 

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