कमला मिल अग्निकांड मामले में फटकारा, मुंबई-पुणे महामार्ग टोल पर मांगा सरकार से जवाब
कमला मिल अग्निकांड मामले में फटकारा, मुंबई-पुणे महामार्ग टोल पर मांगा सरकार से जवाब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कमला मिल अग्निकांड की जांच के लिए कमेटी न गठित करने व उसे जरुरी सुविधाएं न देने के लिए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने पिछले दिनों सरकार को इस अग्निकांड की जांच के लिए सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था। जिसका अब तक गठन नहीं हुआ है। इससे पहले सरकारी वकील ने न्यायमूर्ति शांतनु केमकर व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने एक दस्तावेज पेश किया। इस दस्तावेज पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कमेटी इस अग्निकांड के किन पहलूओं की जांच करेगी और उसका दायरा क्या होगा यह स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा सरकार ने जांच कमेटी गठित करने के लिए सहमति जाहिर की थी अब कमेटी को सुविधाएं देने की जिम्मेदारी मुंबई महानगरपालिका पर टाल रही है। सरकार हमे दो सप्ताह के अंदर बताए कि अग्निकांड के किन पहलूओं की जांच करेगी। इस बीच सरकारी वकील ने कहा कि कमेटी को स्टाफ व कार्यालय के लिए जगह मुंबई महानगरपालिका प्रदान करेगी। गौरतलब है कि 29 दिसंबर 2017 को कमला मिल में स्थित मोजो बिस्तो व वन अबव पब में लगी आग के चलते 14 लोगों की मौत हो गई थी जबकि तीस लोग घायल हो गए थे। इस हादसे की जांच को लेकर पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
मुंबई-पुणे महामार्ग के टोल पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई-पुणे महामार्ग पर टोल वसूली पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर ने इस मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सोमवार को न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान वाटेगांवकर ने खंडपीठ को बताया कि मुंबई-पुणे महामार्ग के निर्माण करनेवाले ठेकेदार ने अनुबंध के तहत अपनी लागत को वसूल लिया है। टोल से वाहनों को छूट देने को लेकर सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने साल 2016 में अपनी सिफारिश में कहा था कि यदि सरकार ठेकेदार को 1362 करोड़ रुपए का भुगतान कर दे तो सभी वाहनों को इस माहमार्ग में टोल से छूट मिल जाएगी। सरकार ने अब तक इस सिफारिश को लेकर निर्णय नहीं लिया है लेकिन ठेकेदारे ने अब तक टोल के रुप में 15 सौ करोड़ रुपए वसूल लिए है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार अगली सुनवाई के दौरान बताए की उसने कमेटी की सिफारिश को लेकर क्या निर्णय किया है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई को तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया है।