पुलिस के अभाव में कैदियों की पेशी न होने से कोर्ट नाराज, कहा- जिम्मेदारी नहीं निभा रही सरकार

पुलिस के अभाव में कैदियों की पेशी न होने से कोर्ट नाराज, कहा- जिम्मेदारी नहीं निभा रही सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-19 13:36 GMT
पुलिस के अभाव में कैदियों की पेशी न होने से कोर्ट नाराज, कहा- जिम्मेदारी नहीं निभा रही सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि न्याय प्रशासन, कानून-व्यवस्था व सुरक्षा के मुद्दे को देखना सरकार का काम है। क्योंकि यह एक राजकीय कार्य है। इसकी आउटसोर्सिग नहीं हो सकती है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को यह बात याद दिलाई है। याचिका में पुलिस बल के अभाव में कैदियों को कोर्ट में न पेश किए जाने के मुद्दे को उठाया गया है।

हाईकोर्ट ने कहा-अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही सरकार
जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने कहा कि यदि पुलिस बल के अभाव में विचाराधीन कैदियों को तय तारीख पर कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता तो क्या वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए? यदि यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तो इसका परिचालन कैसे हो? यह देखना हमारा काम नहीं है।

पुलिस के अभाव में कैदियों की पेशी न होने से अदालत नाराज
इस पूरे मामले को देखकर हमे आभास होता है कि कानून-व्यवस्था व न्याय प्रशासन से जुड़ा हर मुद्दा हमारे सामने लाया जाता है और सरकार अपनी बुनियादि जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती है। जबकि ऐसे मामूली व आपरेशनल मुद्दों को देखना हमारा काम नहीं है। इसलिए हम सरकार के सभी संबंधित लोगों को याद कराना चाहते हैं कि कानून व्यवस्था व न्याय प्रशासन को देखना राजकीय काम है। इसकी आऊट सोर्सिंग नहीं हो सकती है।

कोर्ट से नहीं की जा सकती सरकार के कामकाज को करने की अपेक्षा
यदि सरकार अदालत से किसी सहयोग की अपेक्षा रखती है, तो कोर्ट बेहद सीमित दायरे में रहकर मामले में दखल दे सकती है। सरकार के कामकाज को करने की अपेक्षा कोर्ट से नहीं की जा सकती है।

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