पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर की भूमिका की जांच का निर्देश देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

एंटीलिया मामला पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर की भूमिका की जांच का निर्देश देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-28 12:08 GMT
पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर की भूमिका की जांच का निर्देश देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई, कृष्णा शुक्ला। बांबे हाईकोर्ट ने कारोबारी मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया से जुड़े मामले को लेकर  पूर्व  मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को “परम”  (बड़ी) राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व आयुक्त सिंह की संदिग्ध भूमिका की जांच का निर्देश देने की मांग से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एसबी शुक्रे व न्यायमूर्ति कमल खाटा की खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि पूर्व पुलिस आयुक्त सिंह के खिलाफ जांच की मांग को लेकर याचिका में जो बातें कहीं गई हैं वे अफवाहजनक व सुनी-सुनाई बातों पर आधारित नजर आ रही हैं। याचिका में कही गई बातों से किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं होता है और अपराध के खुलासे की संभावना भी नजर नहीं आ रही है। ऐसे में जरूरी सबूतों व सामग्री के अभाव में पुलिस को इस प्रकरण की और आगे की जांच करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। 

पूर्व पुलिस आयुक्त की इस मामले में संदिग्ध भूमिका की जांच की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता परशुराम शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अखबारों में छपी खबरों के अलावा इसी मामले में आरोपी प्रदीप शर्मा के जमानत आवेदन को खारिज करते समय हाईकोर्ट की ओर से 23 जनवरी 2023 को दिए गए फैसले में की गई टिप्पणी को याचिका का आधार बनाया गया था। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिका के जरिए सिर्फ पुलिस की जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का प्रयास किया गया है। खंडपीठ ने कहा कि जनवरी 2023 के आदेश में हाईकोर्ट ने सिर्फ सायबर विशेषज्ञ ईशान सिन्हा नामक व्यक्ति को पांच लाख रुपए के भुगतान को लेकर सवाल पूछा था। हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व पुलिस आयुक्त से जुड़े हित के संबंध में प्रश्न किया था। इसके अलावा और कुछ नहीं था।

खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता ऐसी कोई परिस्थिति दिखाने में असफल रहा है जो इस मामले में संदेह को कथित रुप से पूर्व पुलिस आयुक्त के किसी भी संदिग्ध आपराधिक गतिविधि में संलिप्त होने की संभावना को दर्शाएं। याचिकाकर्ता हमारे सामने कोई भी ठोस सामग्री दिखाने में असफल रहा है। जो इस मामले में संज्ञेय अपराध का खुलासा करता हों। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पहलूओं पर गौर करने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। 

 

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