VHA के अंदरुनी कलह पर हाईकोर्ट की फटकार, कहा- सदस्यों को खिलाड़ियों से ज्यादा अपने हितों की चिंता
VHA के अंदरुनी कलह पर हाईकोर्ट की फटकार, कहा- सदस्यों को खिलाड़ियों से ज्यादा अपने हितों की चिंता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ हॉकी एसोसिएशन (वीएचए) की कार्यकारिणी को लेकर चल रहे संस्थान के अंदुरुनी विवाद पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने वीएचए को कड़ी फटकार लगाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। हॉकी इंडिया ने वीएचए के अंदरूनी विवाद के कारण उनकी सदस्यता रद्द करने का जो फैसला लिया था, उसे हाईकोर्ट ने कायम रखा है। वीएचए के दो गुटों के विवाद पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की कि वीएचए के सदस्यों को खिलाड़ियों के हितों से ज्यादा अपने हितों की चिंता है। दो गुटों के बीच अनावश्यक विवाद बढ़ता जा रहा है, जिसका असर खिलाड़ियों पर पड़ रहा है।
प्रतियोगिता में न लें हिस्सा
कोर्ट ने कहा कि दोनों गुट खिलाड़ियों और खेलों को बढ़ावा देते नजर नहीं आ रहे। उनके अंदरूनी विवाद पर हॉकी इंडिया ने जो वीएचए की सदस्यता रद्द की, इस फैसले मंे हाईकोर्ट दखल नहीं देगा। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक दोनों गुटों का विवाद हल नहीं हो जाता या फिर चयन समिति गठित नहीं हो जाती, तब तक हॉकी इंडिया वीएचए के किसी भी खिलाड़ी या टीम को प्रतियोगिता में हिस्सा न लेने दे। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. रोहित शर्मा ने पक्ष रखा। मध्यस्थी अर्जदार की ओर से एड. श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा।
यह है मामला
दरअसल वीएचए की कार्यकारिणी में बीते कुछ समय से आंतरिक विवाद चल रहे हैं। इसकी शिकायत हॉकी इंडिया से करने पर कार्यकारी संचालक ने 7 जनवरी 2019 को आदेश जारी कर वीएचए की सदस्यता रद्द कर दी थी। याचिकाकर्ता के अनुसार उन्होंने इस मामले में हॉकी इंडिया को स्पष्टीकरण भी दिया था, फिर भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। जनवरी 2019 में वीएचए अध्यक्ष बी. सी. भरतिया व सचिव विनोद गवई ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में कुछ लोगों ने मध्यस्थी अर्जी भी दायर की है। पूर्व में मामले में हाईकोर्ट ने सहधर्मादाय आयुक्त को संस्था का विवाद हल करने का आदेश देकर एक विशेष चयन समिति को खिलाड़ियों के चयन की जिम्मेदारी दी थी। हॉकी इंडिया ने अर्जी दायर कर वीएचए की नई चयन समिति पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। चयन समिति ने भी हॉकी इंडिया के फैसले पर आपत्ति ली थी।