Nagpur News: पांच साल बाद फिर एक बार विदर्भ बनेगा सत्ता का पावर सेंटर

पांच साल बाद फिर एक बार विदर्भ बनेगा सत्ता का पावर सेंटर
  • किंगमेकर कहलाने वाले दिग्गजों के मुख्यमंत्री बनने के सपने धरे के धरे रह गए
  • भाजपा की आंधी में उड़ गया विपक्ष
  • नारी शक्ति ने महायुति को शक्ति प्रदान की

Nagpur News संजय देशमुख . पांच साल बाद विदर्भ फिर एक बार सत्ता का पावर सेंटर बनने जा रहा है। नारीशक्ति ने महायुति को ‘शक्ति’ प्रदान की विदर्भ ने एक बार फिर साबित किया कि महाराष्ट्र में सत्ता का सिंहासन विदर्भ के रास्ते ही पाया जा सकता है। विदर्भ में महायुति ने 50 (एक सीट युवा स्वाभिमान पार्टी ) सीटों पर शानदार जीत दर्ज की जबकि महाविकास आघाड़ी 12 सीटों पर ही सिमट गई। भाजपा की आंधी में विपक्ष सूखे पत्ते की तरह उड़ गया। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भी मतदाताओं ने धूल चटा दी। मुख्यमंत्री पद के दावेदार नाना पटोले साकोली (भंडारा) से जैसे- तैसे चुनाव जीत पाए।

तिवसा (अमरावती) से स्वयं को भावी मुख्यमंत्री कहने वाली यशोमति ठाकुर के अरमान भी धरे के धरे रह गए। मतदाताओं ने यशोमति ठाकुर को चौथी बार तिवसा से विधानसभा भेजने से इनकार किया। मतगणना की पूर्व संध्या पर ‘ हमारे बगैर सरकार नहीं बनेगी’ का बयान देने वाले कथित किंगमेकर बच्चू कडू को भी अचलपुर ( अमरावती) से जनता ने घर भेज दिया। नागपुर जिले की छह सीटों पर वर्चस्व का दम भरने वाले पूर्व मंत्री सुनील केदार को भारी झटका लगा। केदार सावनेर विधानसभा सीट से सन 1995 से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। इस बार उनकी जगह पत्नी अनुजा केदार मैदान में थीं। जिन्हें भाजपा के आशीष देशमुख ने पराजय का स्वाद चखा दिया।

बरसों पहले सुनील केदार ने सावनेर से ही आशीष के पिता रणजीत देशमुख को हराया था। वर्धा जिले में देवली से पांच बार जीतने वाले पूर्व मंत्री रणजीत कांबले को हार का मुंह देखना पड़ा। दूसरी ओर पिछली सरकार में मंत्री रहे बल्लारपुर (चंद्रपुर) से सुधीर मुनगंटीवार, अहेरी (गड़चिरोली) से धर्मरावबाबा आत्राम और दिग्रस (यवतमाल) से संजय राठोड एक बार फिर विधानसभा में नजर आयेंगे। नतीजों से साफ दिखायी दे रहा है कि भाजपा ने कांग्रेस के दिग्गजों को उनके घर में घेरने की रणनीति बनायी थी। जिसमे वह सफल रहे। विधानसभा चुनाव में 8 प्रत्याशी उतारने वाली शरद पवार की पार्टी राकांपा का विदर्भ में खाता भी नहीं खुल पाया।

मैं समुंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा” : पिछले ढाई साल से तोड़फोड़ की राजनीति का आरोप झेल रहे और ‘विलेन’ के तौर पर विपक्ष के निशाने पर रहे देवेन्द्र फडणवीस ने कभी विधानसभा में शेर पढ़कर कहा था कि ‘ मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बना लेना मैं समुंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा”

अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा था। विदर्भ की दस सीटों में से भाजपा को 2 सीटें ही मिली थीं। जिसके बाद सवाल उठने लगा था कि चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा वापसी कर पायेगी? लेकिन देवेन्द्र फडणवीस ने संघ के सहारे जमीनी हकीकत को समझते हुए रणनीति बनायी और हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया। महायुति सरकार ने चार महीने पहले ही ‘लाडली बहन’ योजना के माध्यम से चुनाव के पूर्व तक महिलाओं के खाते में साढ़े सात हजार रुपए जमा किये। लाडली बहन योजना गेमचेंजर बन गई। लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने के मुद्दे पर पराजय झेलने वाली भाजपा ने इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखा और मतदाताओं को यह समझाने में सफल रहे कि यह मुद्दा फेक नेरिटिव का हिस्सा था। लोकसभा चुनाव में मराठा के साथ-साथ ओबीसी समाज भी भाजपा से दूर था। लेकिन इस बार ओबीसी समाज ने भी भाजपा का साथ दिया। मनोज जरांगे ने अंतिम समय पर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने के बाद मराठा वोटों का विभाजन हो गया जिसका लाभ भाजपा को हुआ।

विदर्भ ने दिया साथ : भाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में विदर्भ की 62 सीटों में 45 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन में भी आश्चर्यजनक सुधार किया है। भाजपा को तब 28 सीटें मिली थी जो 2014 के मुकाबले में 17 सीटें कम थी। तब भाजपा को पांच लाख वोटों का नुकसान हुआ था। विदर्भ की 62 सीटों में भाजपा ने 47 शिवसेना (शिंदे गुट) ने 9 तथा राकांपा (अजित पवार) गुट ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि कांग्रेस ने 41, राकांपा ( शरद पवार) गुट ने 12 व शिवसेना ( उबाठा) ने 9 सीटों पर किस्मत आजमाई थी।

महायुति

भाजपा- 39 सीट

शिवसेना (शिंदे)- 04

राकांपा (अजित पवार)- 06

महाविकास आघाड़ी

कांग्रेस- 08

शिवसेना (उबाठा)- 04

राकांपा (शरद पवार)- 00

Created On :   23 Nov 2024 8:14 PM IST

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