सीडीआर मामला : रिजवान सिद्दीकी को राहत, हाईकोर्ट ने कहा-खुद को कानून से बड़ा न समझे पुलिस 

सीडीआर मामला : रिजवान सिद्दीकी को राहत, हाईकोर्ट ने कहा-खुद को कानून से बड़ा न समझे पुलिस 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-21 13:04 GMT
सीडीआर मामला : रिजवान सिद्दीकी को राहत, हाईकोर्ट ने कहा-खुद को कानून से बड़ा न समझे पुलिस 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने ठाणे पुलिस को निर्देश दिया है कि वह फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी की पत्नी का अवैध रुप से काल डेटा रिकार्ड (सीडीआर) रखने के आरोप में गिरफ्तार अधिवक्ता रिजवान सिद्दीकी को तुरंत रिहा करे। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता की पत्नी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। बुधवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति प्राकश नाईक की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस खुद को कानून से बड़ा न समझे और कानून को अपने हाथ में न ले। इस मामले में पुलिस न सिर्फ लापवाही दिखी बल्कि उसने गिरफ्तारी को लेकर कानूनी प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया है। इसलिए हम गृह विभाग व ठाणे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस मामले की जांच करेंगे और यदि प्रकरण में पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आती है तो उनके खिलाफ उचित दंडात्मक कार्रवाई भी  करेंगे। 

प्रथम दृष्टया गिरफ्तारी अवैध

इससे पहले सरकारी वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी को लेकर आरोपी वकील को नोटिस जारी किया था। लेकिन उसने नोटिस को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। फिलहाल उसे मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने 23 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेजा है। यदि आरोपी को छोड़ा जाता है तो हमे कोई आपत्ति नहीं है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि मैजिस्ट्रेक कोर्ट का आदेश हाईकोर्ट पर लागू नहीं होता। पुलिस इस मामले में निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में विफल रही है। इसलिए प्रथम दृष्टया गिरफ्तारी अवैध नजर आ रही है। लिहाजा आरोपी वकील को तुरंत रिहा किया जाए। 
सिद्दीकी की पत्नी ने तस्नीम ने अपने पति की रिहाई की मांग को लेकर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।

बयान दर्ज करने के लिए सिद्दीकी के कार्यालय पहुंची पुलिस

याचिका में दावा किया गया था कि पुलिस ने सिद्दीकी को पिछले सप्ताह गवाह के रुप में समन जारी किया था। इसके बाद पुलिस बयान दर्ज करने के लिए सिद्दीकी के कार्यालय में आयी थी। लेकिन पुलिस ने फिर सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी को लेकर कानून के तहत नोटिस भी नहीं जारी किया गया था। मामले से जुड़े तथ्यों व रिकार्ड पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पुलिस को सिद्दीकी को तुरंत छोड़ने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि पुलिस को भविष्य में मामले की जांच में सिद्दीकी की भूमिका दिखाई देती है तो वह कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। 
 

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