FIR में लिखी बातें वेद वाक्य नहीं होती : बॉम्बे हाईकोर्ट

FIR में लिखी बातें वेद वाक्य नहीं होती : बॉम्बे हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-20 11:34 GMT
FIR में लिखी बातें वेद वाक्य नहीं होती : बॉम्बे हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। एफआईआर में लिखी बातों को वेद वाक्य यानी पूरी तरह से सच नहीं माना जा सकता है। सिर्फ आपराधिक मामला दर्ज होने के आधार पर किसी भी छात्र को कॉलेज से नहीं निकाला जा सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए आपराधिक मामला दर्ज होने के आधार पर छात्र को कॉलेज से निकाले जाने के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस संदीप शिंदे के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई।  मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा, एफआईआर में लिखी गई बातों को वेद वाक्य यानी पूरी तरह से सच नहीं माना जा सकता है। कॉलेज  ने छात्र के पक्ष को सुने बगैर ही उसे कॉलेज से बेदखल कर दिया है। यह नैसर्गिक न्याय के सिध्दांत का उल्लंघन है। इसके अलावा यदि अभी से छात्र को कॉलेज से दूर कर दिया जाएगा तो इसका उसके करियर पर विपरीत असर पड़ेगा, जिसकी भरपाई पैसों से नहीं की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि आपराधिक मामला दर्ज होना छात्र को कॉलेज से बाहर निकालने का आधार नहीं हो सकता है। इसलिए छात्र को कॉलेज से बाहर निकालने के आदेश को खारिज किया जाता है।  

ये है मामला

मामला मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नालॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक की पढ़ाई कर रहे 21 वर्षीय छात्र रुपेश गुप्ता (परिवर्तित नाम) से जुड़ा है। छात्र को सिर्फ इसलिए कॉलेज से निकाल दिया गया था क्योंकि उसके खिलाफ एक लड़की ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। डीम्ड यूनिवर्सिटी एनएमआईएमएस से जुड़े मुकेश पटेल कॉलेज ने एफआईआर दर्ज होने के आधार पर गुप्ता को तत्काल कॉलेज से निकाल दिया। कॉलेज के इस निर्णय के खिलाफ छात्र गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। 

पक्ष सुने बगैर ही कॉलेज से निकाला 

इस दौरान गुप्ता के वकील ने कहा, मुवक्किल के पक्ष को सुने बगैर ही कॉलेज से निकाल दिया गया है। कॉलेज से निकाले जाने से पहले कोई जांच नहीं की गई है। मुवक्किल के खिलाफ जिस कथित अपराध को लेकर मामला दर्ज कराया गया है, वह कॉलेज के बाहर हुआ । इसके अलावा पढ़ाई में काफी अच्छा है। वहीं कॉलेज का कहना है कि, हमने नियमों के तहत छात्र को निकाला है, क्योंकि मामला गंभीर है।
 

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