HC ने सरकार से पूछा सवाल, मानवाधिकार आयोग को कब मुहैया होंगी सुविधाएं 

HC ने सरकार से पूछा सवाल, मानवाधिकार आयोग को कब मुहैया होंगी सुविधाएं 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-26 10:32 GMT
HC ने सरकार से पूछा सवाल, मानवाधिकार आयोग को कब मुहैया होंगी सुविधाएं 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि राज्य मानवाधिकार आयोग प्रभावी ढंग से काम कर सके इसके लिए आयोग को जरूरी संसाधन और सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में क्या प्रगति हुई है। इसकी जानकारी मामले की अगली सुनवाई के दौरान अदालत में पेश की जाए। चीफ जस्टिस मंजूला चिल्लूर और जस्टिस एमएस सोनक की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता नरेश गोसावी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त निर्देश दिया। याचिका में दावा किया गया है कि आयोग में कामकाज के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इसके साथ ही सरकार की ओर से जरूरी राशि भी नहीं उपलब्ध कराई जा रही है।

सुधार लाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए

स्टाफ की कमी व जरूरी संसाधन न होने के कारण आयोग प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रहा है। जिससे वहां पर आने वाली शिकायतों का समय से निपटारा नहीं हो पाता है। इससे प्रलंबित मामलों की संख्या बढ़ती है। आयोग के लिए पर्याप्त जगह भी सरकार ने आवंटित नहीं की है। जबकि आयोग को मानवाधिकारों के संरक्षण सहित कई महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अब तक सरकार ने आयोग के संसाधनगत सुविधाओं में सुधार लाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। जबकि अदालत ने काफी पहले निर्देश दिया था कि आयोग को जरूरी स्टाफ व जगह सहित अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान की जाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने अब तक आयोग को कौन सी सुिवधाएं व संसाधन प्रदान किए हैं, इसकी जानकारी हमारे सामने दो सप्ताह के भीतर पेश की जाए। 

रद्द की गई अस्पताल कमेटियों की रिपोर्ट मांगी

किडनी प्रत्यारोपण को लेकर जिन अस्पतालों की कमेटियों को रद्द किया गया है। उन्हें इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मेडिकल शिक्षा महानिदेशालय के निदेशक डाॅ. प्रवीण शिंगारे ने हलफनामा दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। शिंगारे ने यह हलफनामा महानगर निवासी सिद्धांत पाल की ओर से दायर याचिका पर अदालत की ओर से दिए गए निर्देश के तहत दायर किया है। अदालत ने जानना चाहा था कि सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी की किडनी प्रत्यारोपण के लिए गठित जिन अस्पताल आधारित कमेटियों को रद्द कर दिया गया है, वे काम न करें? सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि जिन अस्पतालों में सालाना 25 से कम किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी होती है, ऐसी अस्पतालों की अस्पताल आधारित प्राधिकृत कमेटियों को रद्द कर दिया गया है। 

बढ़ रही है अंगदान करने वालों की संख्या 

इसके साथ ही इन अस्पतालों से एक रिपोर्ट भी मंगाई गई है। हलफनामे में कहा गया है कि अंगदान को लेकर सरकार की ओर से शुरू की गई जागरूकता मुहिम के चलते लोग अंगदान के लिए खुद आगे आ रहे हैं। खास तौर से शवों के अंगदान में काफी वृध्दि हुई है। अंगदान को लेकर सरकार आगे भी अपनी जागरूकता मुहिम को जारी रखेगी। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस एके मेनन की खंडपीठ ने हलफनामे को रिकार्ड में लेने के बाद मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। 

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