इलाज के वक्त महिला का हाथ पकड़ना छेड़छाड़ नहीं : हाईकोर्ट

इलाज के वक्त महिला का हाथ पकड़ना छेड़छाड़ नहीं : हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-04 09:55 GMT
इलाज के वक्त महिला का हाथ पकड़ना छेड़छाड़ नहीं : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृष्णा शुक्ला। इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा महिला मरीज का हाथ पकड़ना छेड़छाड़ नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक डॉक्टर के खिलाफ दर्ज छेड़छाड के मामले को रद्द करने को लेकर दिए गए आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। महानगर के नवघर इलाके में क्लीनिक चलाने वाले डॉ. एस व्यंकटरमण के पास अप्रैल 2006 में एक महिला अपने हाथों की नसों में तकलीफ के इलाज के लिए अपने बेटे के साथ आई थी। महिला ने डॉक्टर के कहने पर उसके हाथ की अंगुली पकड़ कर दबाया। इस बीच डॉक्टर ने महिला के कंधे को दबाने के बाद कहा कि उसे कमर में विटामिन के इंजेक्शन लेने पड़ेंगे।  

महिला को डॉक्टर का बर्ताव लगा गलत

इस दौरान महिला को डॉक्टर का बर्ताव अनुचित लगा। इसलिए उसने डॉक्टर के खिलाफ नवघर पुलिस स्टेशन में छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करा दी। महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354ए व 509 के तहत मामला दर्ज कर लिया। जांच के बाद पुलिस ने मुलुंड कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था, जो अब तक लंबित था। इसे रद्द करने की मांग को लेकर डॉक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आई। 

डॉक्टर के खिलाफ दर्ज मामला इसलिए हुआ रद्द

याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि जिस वक्त डॉक्टर महिला मरीज का इलाज कर रहा था, उस समय पर वहां पर उसका बेटा व महिला कंपाउंडर भी मौजूद थी। इसके अलावा मामले को लेकर पुलिस अस्पताल ने जो अपनी रिपोर्ट दी है उसमें कहा गया है कि महिला की तकलीफ के हिसाब से डॉक्टर ने सही इलाज किया था। 

जेजे अस्पताल के डॉक्टरों का मत

जेजे अस्पताल के डॉक्टरों ने भी अपनी रिपोर्ट में डॉक्टर द्वारा किए गए इलाज को उचित ठहराया है। खंडपीठ ने रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि इलाज के लिए महिला का हाथ पकड़ना जरूरत थी। इसलिए इस मामले में छेड़खानी का मामला बनता ही नहीं। यह कहते हुए खंडपीठ ने डॉक्टर के खिलाफ मुलुंड कोर्ट में लंबित केस को रद्द कर दिया। 

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