हिंदी सिर्फ भाषा नहीं संस्कृति भी है, नई पीढ़ी नहीं बोल रही अपनी जुबान-राज्यपाल सी विद्यासागर

हिंदी सिर्फ भाषा नहीं संस्कृति भी है, नई पीढ़ी नहीं बोल रही अपनी जुबान-राज्यपाल सी विद्यासागर

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-12 14:49 GMT
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं संस्कृति भी है, नई पीढ़ी नहीं बोल रही अपनी जुबान-राज्यपाल सी विद्यासागर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिन्दी केवल भाषा नही है। हिन्दी हमारी संस्कृति है। हिन्दी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। यदि प्रादेशिक भाषाए फुल है, तो हिंदी उन्हे जोडने वाला धागा है। इस सुंदर माला को बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। यह बात राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने कही। वे शुक्रवार को पश्चिम व मध्य क्षेत्र राजभाषा सम्मेलन व पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी विश्व मे सबसे अधिक समझने वाली भाषा है। हमारी बॉलीवुड कि हिंदी फिल्मे पूर्व रशिया के देश, इंडोनेशिया, इजिप्त, तुर्कस्तान सहित अनेक देशो में देखी जाती है। इन दिनों चीन तथा जापान मे भी हिंदी फिल्मों के बारे मे लोगो में काफी दिलचस्पी है।

हिन्दी बचेगी तो राष्ट्र बचेगा

हम हमेशा कहते हैं, हिन्दी बचेगी तो राष्ट्र बचेगा। हिंदी बचेगी तो संस्कृती बचेगी। आचार्य विनोबा भावे की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि  विनोबा जी ने अपने ऐतिहासिक भूदान आंदोलन की सफलता का श्रेय हिन्दी भाषा को दिया था। महात्मा गांधी ने भी देश की एकात्मता के लिये हिंदुस्तानी भाषा का आग्रह किया था। भारत के आजादी के आंदोलन के दौरान हमारे शीर्ष नेताओं ने स्वराज्य तथा स्वदेशी का आग्रह किया था। साथ ही साथ उन्होने हिंदी भाषा तथा खादी वस्त्र का आग्रह किया था। राव ने कहा कि हिंदी कि महानता देखिये। पानी का जिस प्रकार कोई रंग नही होता, उस प्रकार हिन्दी बोलने का भी कोई एक ढंग नही होता। हर प्रदेश के लोग अपने- अपने ढंग से हिन्दी भाषा बोल लेते है। यह हिन्दी की सुंदरता है।  

संकट में हैं अनेक भाषाएं

राव ने कहा कि आज विश्व की अनेक भाषाए संकट मे है। सौभाग्य की बात यह है की अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पॅनिश, जर्मन तथा हिंदी भाषा बढ रही है। लेकीन हमारी प्रादेशिक भाषाए अंग्रेजी कि प्रभाव मे पिछड़ रही हैं। हमे हिन्दी के साथ-साथ हमारी प्रादेशिक भाषाओं को भी बढावा देना होगा। उन्होंने कहा कि मुझे दुख होता है की आज हमारे बच्चे, हमारे पोते हमारी अपनी भाषा बोलने मे असमर्थ हो रहे हैं। यह दुर्भाग्य कि बात है कि धीरे धीरे अपनी भाषा को कम समझ रहे है। यह गलत धारणा हमे दूर करनी होगी।

 हिंदी बोलने में कैसा संकोच 

राज्यपाल राव ने कहा कि जापान मे लोग जापानी, जर्मनी मे जर्मन, कोरिया मे कोरियन, रशिया मे रशियन, फ्रांस मे फ्रेंच भाषा बोलते है। तो हम हिंदुस्तानी अपने ही देश में हिन्दी बोलने में क्यो संकोच करते है? इस मौके पर राजभाषा विभाग के सचिव प्रभास कुमार झा, संयुक्त सचिव डॉ. बिपिन बिहारी, स्टेट बैंक के अध्यक्ष रजनीश कुमार, राष्ट्रीय केमिकल्स अंड फर्टिलायझर्स के प्रबंध निदेशक उमेश धात्रक आदि मौजूद थे। 

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