यवतमाल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाना चाहती है सरकार
कड़ा विरोध यवतमाल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाना चाहती है सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश सरकार यवतमाल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर चलाना चाहती है। सोमवार को प्रदेश के मेडिकल शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने विधान परिषद में यह जानकारी दी। लेकिन सदन में विपक्ष के सदस्यों ने इस अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाने के लिए देने का कड़ा विरोध किया है।
सोमवार को सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस सदस्य वजाहत मिर्जा ने यवतमाल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को शुरू करने मुद्दा उठाया था। मिर्जा ने कहा कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की इमारत पांच साल पहले बनी थी। लेकिन अभी तक अस्पताल शुरू नहीं हो पाया है। इसके जवाब में महाजन ने कहा कि यवतमाल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में केवल 13 पद भर गए हैं। बाकी पदों के लिए स्टाफ नहीं मिल रहा है। इसलिए सरकार इस अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाने के लिए देने पर विचार कर रही है। इसके तहत सरकारी योजनाओं के पात्र लाभार्थियों को मुफ्त और रियायती दर में इलाज की सुविधा मिल सकेगी। जबकि जिनकी आर्थिक क्षमता है वे लोग फीस देकर इलाज करा सकते हैं।
महाजन ने कहा कि राज्य के नागपुर, यवतमाल, लातूर और संभाजीनगर, कोल्हापुर, पुणे और मुंबई में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हैं। लेकिन विदर्भ और मराठवाड़ा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में काम करने के लिए योग्य लोग तैयार नहीं हैं। इन अस्पतालों के लिए 102 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ था। लेकिन 38 अभ्यर्थी ही सेवा से जुड़े हैं। सरकार की ओर से वेतन बढ़ाने के बावजूद प्राध्यापक और सहयोगी प्राध्यापक नहीं मिल पा रहे हैं। इसके बाद कांग्रेस के सदस्य भाई जगताप ने कहा कि सरकार की तिजोरी से पैसा खर्च करके यवतमाल में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाया गया है।
अब सरकार पीपीपी मॉडल के नाम पर अस्पताल को अडानी और अंबानी के जब में डालना चाहती है। इस बीच शेकाप के सदस्य जयंत पाटील ने कहा कि हम यवतमाल के अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाने के लिए देने को लेकर समर्थन नहीं कर सकते हैं। जिसके बाद उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि यवतमाल के अस्पताल को पीपीपी मॉडल पर चलाने के लिए देना सदन के विपक्ष के सदस्यों को मंजूर नहीं है। पीपीपी मॉडल को लेकर सदन में व्यापक चर्चा करने की जरूरत है। उपसभापति ने कहा कि ट्रस्ट के अस्पतालों में बिस्तर की उपलब्धता के बारे में जानकारी के लिए हर जिले में डैशबोर्ड तैयार करना चाहिए।