मंत्रालय में आत्महत्या की कोशिशों से सरकार हुई परेशान 

मंत्रालय में आत्महत्या की कोशिशों से सरकार हुई परेशान 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-07 15:38 GMT
मंत्रालय में आत्महत्या की कोशिशों से सरकार हुई परेशान 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विजय सिंह ‘कौशिक’। सरकारी अधिकारियों की कार्य प्रणाली से परेशान होकर मंत्रालय आकर आत्महत्या के प्रयास की घटनाओं से जहां तरफ जहां सरकार परेशान है, वहीं दूसरी ओर इससे विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है। विपक्ष का आरोप है कि जिला स्तर पर लोगों की सुनवाई नहीं होती, इस लिए हताश-निराश लोग मंत्रालय में आकर खुदकुशी जैसे कदम उठा रहे हैं। 


धर्मापाटील के मंत्रालय में जहर पीने के बाद तोड़ा दम

पिछले महीने धुले के बुजुर्ग किसान धर्मापाटील के मंत्रालय में जहर पीने और बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ने की घटना के बाद 2 फरवरी को सालोपुर का युवा किसान मारुति धावरे जहर की शीशी लेकर मंत्रालय में घूसना चाहता था। सुरक्षाकर्मियों की सतर्कता की वजह से मंत्रालय के गेट पर उसे पकड़ा गया। जबकि बुधवार को एक अन्य युवक ने मंत्रालय के गेट के सामने आत्मदाह की कोशिश की। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं से पता चलता है कि न सिर्फ किसान बल्कि बेरोजगार युवक भी इस सरकार से दुखी हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार लोगों को सिर्फ आश्वासन दे रही है। जब कोई विकल्प नहीं बचता तभी लोग अपनी जान देने को तैयार होते हैं। 


जिलास्तर पर भी हो सकते हैं यह कार्य 

सामाजिक कार्यकर्ता डा विवेक कोरडे का मानना है कि जिस तरह सत्ता की सारी शक्ति मंत्रियों के हाथ में सौप दी गई है, उससे जिले का प्रशासन लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाता। जब जिला स्तर पर लोगों की समस्याओं का हल नहीं होता तभी वे मंत्रालय आते हैं। डा कोरडे कहते हैं कि लोग एडमिशन, तबादले, सात-बारह में बदलाव व मंत्री को किसी कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने के लिए मंत्रालय आते हैं। जबकि यह काम जिलास्तर पर और मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में हो सकता है।


प्रतिदिन करीब 4 हजार लोगों का आना

मंत्रालय के सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रतिदिन करीब 4 हजार लोग मंत्रालय में आते हैं। जबकि मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक के दिन यह संख्या 5 हजार तक पहुंच जाती है। अधिकारी ने कहा कि इतने लोग मंत्रालय क्यों आते हैं, इसका कारण बताना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि अब मंत्रालय प्रवेश पास कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया है। इससे इस बात का रिकार्ड रखना आसान हो गया है कि कौन व्यक्ति कहां से और किस विभाग के कार्य के लिए आया है। पिछले साल मंत्रालय की छत पर पहुंच कर एक युवक ने नीचे कुदने की कोशिश की थी। इस घटना के बाद से मंत्रालय इमारत की सभी खुली खिडकियों पर ग्रिल लगाया जा रहा है। साथ ही मंत्रालय के गार्डेन गेट पर एक विजिटर लाउंज भी बनाया जा रहा है। जिससे आगंतुक मंत्रालय में बैठे अधिकारी से मिलने का समय मिलने तक यहां-वहां घुमने की बजाय लाउंज में इंतजार कर सकें। 


कुछ खास बिंदु

-    करीब 4,000 लोग प्रतिदिन आते हैं मंत्रालय। कैबिनेट के दिन 5 हजार हो जाती है आगंतुकों की संख्या। 
-    मंत्रालय इमारत की खिड़कियों पर जाली लगाने खर्च होगा 12 करोड़ 
-    आगतुंकों के इंतजार के लिए मंत्रालय के गार्डेन गेट पर बनेगा विजिटर लाउंज 
-    कम्प्यूटरीकृत प्रवेश पास पर प्रदर्शित जाता है प्रवेश का समय 
-    सीमित की गई है मंत्रालला आने वाली कारों की संख्या 
-  मुख्यमंत्री के कार्यालय में प्रवेश से पहले चेक होता है प्रवेश पास 
-  मंत्रालय इमारत कि हर मंजिल पर और हर कार्यालय के सामने सीसीटीवी कैमरो का पहरा 

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