सरकार करे प्रवासी मजदूरों के रहने खाने का प्रबंध, कोरोना के लिहाज से चिंताजनक है पलायन

सरकार करे प्रवासी मजदूरों के रहने खाने का प्रबंध, कोरोना के लिहाज से चिंताजनक है पलायन

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-31 07:07 GMT
सरकार करे प्रवासी मजदूरों के रहने खाने का प्रबंध, कोरोना के लिहाज से चिंताजनक है पलायन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉक डाउन के कारण बेरोजगार हुए दिहाड़ी मजदूर राज्य से अपने घरों को पलायन कर रहे हैं। कारोना संक्रमण के इस वक्त में सड़कों पर निकले इस जथ्ये से समस्या और गंभीर हो गई है। इसका संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार पर पलायन रोक कर मजदूरों के आश्रय और भोजन की व्यवस्था करने के आदेश दिए है। न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे की खंडपीठ ने ओडीसा हाईकोर्ट के हालियां आदेश का हवाला दिया , जिसमें जिलाधिकारियों और पुलिस एसपी को मजदूरों के रहने खाने का प्रबंध करने को कहा गया था। नागपुर खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को भी इसी तरह की व्यवस्था बनाने के आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने माना है कि इस काम के लिए बड़ी रकम खर्च होगी।

समाधान स्वरूप हाईकोर्ट ने राज्य में धर्मदाय आयुक्तालय में पंजीकृत पब्लिक ट्रस्ट और वक्त बोर्डों को अपना सामाजिक दायित्व निभाने को कहा है। हाईकोर्ट ने इन्हें सरकार की आर्थिक सहायता करने के निर्देश दिए है। इनसे कितनी रकम लेनी है राज्य सरकार पर इसका निर्णय छोड़ा गया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिन का लॉकडाऊन घोषित किया। कुछ ही दिनों में स्थिति बिगड़ गई और महाराष्ट्र समेत देश के बड़े शहरों में दिहाड़ी मजदूरों ने अपने गावों का रुख करना शुरु कर दिया।

मजदूरों के अनुसार लॉक डाउन के कारण उनका रोजगार छिन गया है। ठेकेदार ने उन्हें काम पर रखने या रहने की जगह देने से इंकार कर दिया है। लॉकडाऊन में यात्रा का कोई साधन ना होने से ये मजदूर हजारों की संख्या में एक साथ सड़क पर निकल गए है। स्थिति देखें तो यहां मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड के दिहाड़ी मजदूर अधिक है। सोमवार को कोरोना संक्रमण पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पलायन का मुद्दा उठा। हाईकोर्ट ने इसपर चिंता जाहिर करते हुए ये आदेश जारी किए। मामले में एड.अनुप गिल्डा न्यायालीन मित्र की भूमिका में है।

 

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