बच्ची को थी बाल खाने की आदत, पेट में बन गया गुच्छा सर्जरी कर निकाला

सफल ऑपरेशन बच्ची को थी बाल खाने की आदत, पेट में बन गया गुच्छा सर्जरी कर निकाला

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-29 16:40 GMT
बच्ची को थी बाल खाने की आदत, पेट में बन गया गुच्छा सर्जरी कर निकाला

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। 10 साल की एक मासूम बच्ची को बचपन से बाल खाने की आदत थी। यह आदत उसके लिए हानिकारक बन गई। इस आदत से उसके पेट में बालों का एक गुच्छा बन गया। इस गुच्छे के कारण वह एक साल से पेट दर्द से परेशान थी। आखिरकार डॉक्टरों ने सर्जरी कर इस बच्ची के पेट से 100 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला। दादर में रहनेवाली कियारा बंसल (बदला हुआ नाम) नामक बच्ची को 9 साल में ही मासिक धर्म आने के कारण वह इसकी गोलियां लेनी शुरू कर  दी थी। रक्तस्राव की वजह से वह एक साल से अधिक समय से पेट में असहनीय दर्द से पीड़ित थी। लड़की में कोई अन्य लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे। लड़की की बिगड़ती सेहत को देखकर परिवारवालो ने उसे स्थानीय डॉक्टरों को दिखाया। जांच में मरीज को मेसेंटेरिक लिम्फैडेनाइटिस का पता चला। लड़की को आगे के इलाज के लिए बच्चों के वाडिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. पराग करकेरा ने बताया कि सीटी स्कैन में एक ट्राइकोबोज़र दिखाया गया जो पेट में बालों का एक द्रव्यमान है। डॉक्टर के मुताबिक इस लड़की को बाल खाने की आदत थी। इस कारण पेट में बालों का गुच्छा हुआ था। मेडिकल भाषा में इसे ट्रिकोटिलोमेनिया कहा जाता है। यह ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने बाल खुद खींचने की प्रबल इच्छा होती है। वह ट्राइकोपागिया से भी पीड़ित थी, एक ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति अपने बाल खुद ही खाते हैं। हालांकि इस बारे में माता-पिता को भी कुछ पता नहीं था। डॉ. करकेरा ने बताया कि मरीज पर  गैस्ट्रोटोमी प्रक्रिया की गई जो लगभग दो घंटे तक चली, जिसके बाद 100 ग्राम हेयरबॉल को हटा दिया गया। ऑपरेशन के सातवें दिन ही बच्ची को छुट्टी दे दी गई। डॉक्टर ने कहा कि अगर समय रहते इलाज नहीं किया गया होता तो उसे आंतों की समस्या होती। 

मरीज की मां अमिता बंसल (बदला हुआ नाम) ने बताया कि दवाएं लेने के बावजूद भी बेटी के पेट का दर्द कम नहीं हो रहा था। काफी डॉक्टरों से सलाह ली लेकिन सेहत में सुधार नहीं हुआ। उसके पेट में बालों को जानकर हम काफी चौक गए थे। बेटी का तुरंत इलाज कर उसकी जान बचाने के लिए हम डॉक्टरों को धन्यवाद देते हैं।
 

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