यूनिवर्सिटी में लागू नहीं हुआ 'जेंडर चैंपियन' अभियान, यूजीसी ने मांगी रिपोर्ट
यूनिवर्सिटी में लागू नहीं हुआ 'जेंडर चैंपियन' अभियान, यूजीसी ने मांगी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आदेश के बावजूद जेंडर चैंपियन अभियान की शुरुआत नहीं की है। अधिकांश शिक्षा संस्थानों में ऐसी ही स्थिति है। इसका संज्ञान लेते हुए यूजीसी ने सभी शिक्षा संस्थानों को अपने यहां मुहिम लागू कर 25 जनवरी तक रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए हैं। दरअसल शिक्षा संस्थानों से लिंग भेद मिटाने और समाज में छात्राओं, महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने "जेंडर चैंपियन" नामक मुहिम छेड़ी है।
यूजीसी ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय समेत देश भर के तमात विश्वविद्यालयों को अपने यहां पर यह मुहिम शुरू करके विद्यार्थियों को जेंडर चैंपियन के रूप में नियुक्त करने को कहा था। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार 16 वर्ष से ऊपर की उम्र के ऐसे विद्यार्थी, जो नियमित रूप से स्कूल-कॉलेज आते हों और उनका वार्षिक प्रदर्शन अौसतन 50 प्रतिशत या उसके ऊपर हो और उनमे नेतृत्व क्षमता हो, ऐसे विद्यार्थियों को जेंडर चैंपियन के रूप में नियुक्त किया जाए। जिस पर लंबे समय बाद भी कार्यान्वयन शुरू नहीं हुआ है।
ये होंगी जिम्मेदारियां
जेंडर चैंपियन लिंग भेद को मिटाने के लिए अपने सहपाठियों और अन्य साथियों का मार्गदर्शन करेंगे। समय-समय पर सामूहिक चर्चा, वाद-विवाद, पोस्टर प्रतियोगिता, फिल्म फेस्टिवल आयोजित करेंगे। स्कूल, कॉलेज, समाज के विविध घटकों को भी इस मुहिम में अपने साथ जोड़ेंगे। स्कूल, कॉलेज के दैनिक कार्यों में छात्राओं या महिलाओं के साथ होने वाली असमानता को पहचान कर उसे दूर करने के प्रयास करेंगे।
ये स्कूल, कॉलेज में जेंडर चैंपियन क्लब की भी स्थापना करेंगे। इतना ही नहीं ये जेंडर चैंपियन विद्यार्थियों के साथ मिलकर गांव, कस्बों के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों, डाकघरों और पुलिस थानों का दौरा कर वहां महिलाओं की स्थिति जानेंगे। साथ ही छात्राओं, महिलाओं की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबरों का प्रसार करने जैसे कार्य भी करेंगे। ये जेंडर चैंपियन कॉलेज में छात्र और छात्राओं में समानता स्थापित करने का प्रयत्न करेंगे। ये सुनिश्चित करेंगे कि कॉलेज में लकड़ियों, महिलाओं के साथ सम्मान पूर्वक बर्ताव किया जाता है। साथ ही उन्हें आगे आने के लिए भी अवसर मुहैया कराए जाते हैं। यूजीसी ने जेंडर चैंपियंस के मार्गदशन के लिए एक नोडल शिक्षक भी नियुक्त करने को कहा है।