पवित्र श्रृंगी पर्वत की रजिस्ट्रियों पर वन विभाग ने उठाई आपत्ति
सतना पवित्र श्रृंगी पर्वत की रजिस्ट्रियों पर वन विभाग ने उठाई आपत्ति
डिजिटल डेस्क, सतना। धर्मनगरी चित्रकूट के पवित्र श्रृंगी पर्वत जंगल और सरकारी दर्ज आराजी नंबर ९०९ और ९०२/२ के १.३७ हेक्टेयर अंश भाग की निजी स्वत्व में ७ अलग-अलग रजिस्ट्रियां किए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग ने गहरी आपत्ति जताई है। चित्रकूट सर्किल के नायब तहसीलदार ऋषि नारायण सिंह को लिखे पत्र में चित्रकूट के वन परिक्षेत्राधिकारी (रेंजर) ने स्पष्ट किया है कि इस मामले को गंभीरता से लें और सभी ७ भूमि पंजीयनों को नामांतरित करने से पहले
वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) अवश्य प्राप्त कर लें। नियमों के तहत वन दर्ज भूमियों को नामांतरित करने से पहले एनओसी अनिवार्य है। उल्लेखनीय है, तमाम कानून कायदों को ताक पर रख कर पवित्र श्रृंगी पर्वत के १.३७ हेक्टेयर अंश भाग की १ करोड़ ३७ लाख रुपए में सौदेबाजी हो चुकी है। नामांतरण के लिए ये भूमि पंजीयन चित्रकूट सर्किल के नायब तहसीलदार की कोर्ट में विचाराधीन हैं।
नामांतरण के विचाराधीन मामले :----------
* सुशीला पांडेय पत्नी अवध शरण निवासी सिरसा वन चित्रकूट
आराजी नंबर : 909/2/ ख
रकबा : 0.4420 हेक्टेयर
* योगेन्द्र द्विवेदी पिता शालिक राम निवासी कामता चित्रकूट
आराजी नंबर : 909/2/ग
रकबा : 0.2010 हेक्टेयर
* आदित्य प्रताप सिंह एवं पुरुषोत्तम पिता भोला सिंह निवासी रीवा
आराजी नंबर : 909/2/क
रकबा: 0.4040 हेक्टेयर
+ रविकांत द्विवेदी एवं सोमनाथ पिता दिनेश (छोटा नेता)
आराजी नंबर: ९०९/२/ ख
रकबा : 0.4580 हेक्टेयर
+ अवध शरण पांडेय पिता सुकरु राम निवासी सिरसावन चित्रकूट
आराजी नंबर : ९०९/२/ग
रकबा : 0.3630 हेक्टेयर
+ विजय त्रिपाठी पिता रामचंद्र पीली कोठी चित्रकूट
आराजी नंबर : 909/2/ ग
रकबा : 0.2010 हेक्टेयर
+ रत्नेश पटेल पिता रामनरेश (पटवारी) निवासी मझगवां
आराजी नंबर- ९०९/२/ क
रकबा : 0.4050 हेक्टेयर
इनका कहना है:-
+ मामला संज्ञान में आने के साथ ही नायब तहसीलदार को पत्र लिख कर एनओसी नामांतरण नहीं किए जाने का आग्रह किया गया है। इस संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी प्राप्त करने के लिए रिमाइंडर दिया जाएगा।
संजय सिंह चौहान,वन परिक्षेत्राधिकारी (चित्रकूट)
+ हाल ही में हमारी पोस्टिंग हुई है। इस संबंध में जानकारी नहीं है। वन परिक्षेत्र अधिकारी से जानकारी प्राप्त करने के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा। यदि जंगल की जमीन होगी तो उसे हर हालत में वापस लेने की कोशिश की जाएगी।
अभिषेक तिवारी, उपवन मंडल अधिकारी चित्रकूट
+ वन विभाग की आपत्तियों को गंभीरता से लेकर ही निर्णय लिया जाएगा। इस संबंध में क्रेता और विक्रेताओं से संपूर्ण दस्तावेज मंगाए गए हैं। ये भूमियां निजी स्वत्व में कैसे आईं? जांच कराई जा रही है।