राजस्थान के पैदल निकले 40 राहगीरों को खिलाया भोजन, मजदूरों को रोकने होम शेल्टर में बढ़ोतरी
राजस्थान के पैदल निकले 40 राहगीरों को खिलाया भोजन, मजदूरों को रोकने होम शेल्टर में बढ़ोतरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आदिलाबाद से राजस्थान जाने के लिए निकले 40 मजदूरों को बूटीबोरी पुलिस ने भोजन कराया। कोरोना को लेकर देशभर में लॉक डाउन शुरू है। सडकों पर चलनेवाले मजदूरों के जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। कोई वाहन नहीं मिलने पर मजदूर पैदल ही सफर कर रहे हैं। नागपुर की सडकों पर मजदूर पैदल जाते नजर आ रहे हैं। सोमवार को पुलिस ने सडकों पर गश्त बढाई तो मजदूर चोरी छिपे खेतों से जाने लगे हैं। उनके अंदर बस इतना ही जुनून है कि वह किसी भी कीमत पर अपने गांव पहुंचना चाहते हैं। राजस्थान के इन 40 मजदूरों का काम आदिलाबाद में बंद होने पर उनके सामने भूखे मरने की नोबत आ गई। वह 200 से अधिक किलोमीटर का सफर पैदल कर चुके थे। उसके बाद उन्हें एक ट्रक मिला। ट्रक से वह बूटीबोरी में पहुंचे तो हिम्मत भी जबाब दे चुकी थी। ऐसे में बूटीबोरी पुलिस उनके लिए साक्षात देवदूत बन गई। पुलिस ने इन मजदूरों के खान पान का इंतजाम किया। इन मजदूरों ने पुलिस को बताया कि काम बंद हो चुका है। काम नहीं होने पर ठेकेदार ने भी पैसे देने बंद कर दिया है। इसलिए समझ में नहीं आ रहा था कि जीना की मर जाना।
पलायन कर रहे मजदूरों को रोकने होम शेल्टर में बढ़ोतरी
लॉकडाउन के कारण बंद हुए रोजगार से मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट निर्माण हो गया है। ऐसे में दूसरे राज्यों से रोजगार के लिए नागपुर पहुंचे मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हो गया है। यहीं नहीं अन्य जिलों से भी मजदूर नागपुर पहुंच रहे हैं। इसी व्यवस्था के लिए मनपा ने होम शेल्टर की संख्या बढ़ा दी है। इसके पहले शहर में बेघरों के लिए पांच होम शेल्टर थे, इसमें सात और होम शेल्टर की संख्या बढ़ाई गई है। सात नए होल्टर में 1262 लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में शहर में होम शेल्टर की संख्या 12 हो गई है। मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे के निर्देशानुसार, कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए प्रत्येक का ध्यान रखा जा रहा है। लॉकडाउन के बाद बड़े पैमाने पर गांव से लोग नागपुर आ रहे हैं। उनके रहने और भोजन की व्यवस्था मनपा द्वारा की गई है। ऐसे होम शेल्टर में रुकने वालों की डॉक्टर जांच भी कर रहे हैं। इससे पहले नागपुर शहर में पांच होम शेल्टर सेंटर (बेघर निवारा केंद्र) चालू किए गए थे। इसमें अब तुली होस्टल कोराड़ी रोड, मेट्रो स्टेशन खापरी, अग्रसेन भवन रविनगर, अग्रसेन भवन गांधीबाग सीए रोड, एल्केम साउथ एशिया प्रा. लि. हिंगना रोड, स्वराष्ट्र लेवा पटेल समाज रेवती नगर बेसा, शासकीय तंत्रनिकेतन वस्तीगृह सदर में होम शेल्टर की व्यवस्था की गई है।
भोजन व्यवस्था के लिए आगे आए
बेघर निवारा केंद्र में भोजन व्यवस्था के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आने का आह्वान मनपा द्वारा किया गया है। इसके लिए मनपा के उपायुक्त (राजस्व) मिलिंद मेश्राम (9823330934), उपायुक्त व समाज कल्याण अधिकारी डॉ. रंजना लाडे (9765550214) और दीनदयाल अंत्योदय योजना के कार्यक्रम समन्वयक प्रमोद खोब्रागडे (9922093639) पर संपर्क किया जा सकता है।
पलायन के लिए सीमा से लगे अंदरुनी रास्ते का कर रहे इस्तेमाल
महाराष्ट्र में लॉकडाउन सहित कर्फ्यू भी लागू किया गया है। इसके साथ राज्य की सीमाओं के साथ जिलों से लगी सीमाओं (बॉर्डर) को भी सील कर दिया गया है। न कोई यहां से वहां जा सकता है और न वहां से कोई यहां आ सकता है। बावजूद इसके बड़े पैमाने पर मजदूर वर्ग पलायन कर राज्य सहित जिलों की सीमाओं को लांघकर नागपुर होकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की ओर जा रहे हैं। कोई गाड़ियों में भरकर जा रहे हैं, तो कोई पैदल ही निकल पड़े हैं। ताजा मामला हैदराबाद से पैदल चलकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की ओर जा रहे मजदूरों का है। हाथ में झोला और सिर पर गठरी लिए ये करीब 1500 किलोमीटर का रास्ता नाप रहे हैं। कई लोग हैदराबाद से लगातार चार दिन पैदल चल कर नागपुर पहुंचे हैं। ये सिवनी, बालाघाट, कटंगी, मंडला, जबलपुर और मध्यप्रदेश के कई जिलों तक पैदल जा रहे हैं। यूपी के वाराणसी, मऊ और हरदोई सहित कई जिलों तक यह फासला तय करेंगे। राज्य सरकार के आदेश के बाद अनेक मजदूरों को पुलिस ने सोमवार को नागपुर में रोककर उन्हें मनपा द्वारा तैयार किए होम शेल्टर में भेज दिया। जहां उनके रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। हालांकि सवाल उठ रहा है कि राज्य और जिलों की सीमाओं को सील बंद कर दिया गया है, तो ये कहां से आ रहे हैं।
नहीं हो रही जांच-पड़ताल
चर्चा यह भी है कि राज्य और जिलों की सीमाओं पर ठीक ढंग से जांच-पड़ताल नहीं होने से इनके नागपुर सहित अन्य जगहों पर प्रवेश करने की जानकारी है। हालांकि यह भी खुलासा हो रहा है कि सीमाओं से लगे छोटे या अंदरुनी रास्तों से यह दूसरे जिलों में प्रवेश कर रहे हैं। किसी को कानो-कान खबर नहीं लग रही है। इसके लिए स्थानीय किसी शख्स की मदद तक ली जा रही है। बाकायदा यह रास्ता पार करने के लिए उनसे पैसा भी लिया जा रहा है। जिला सीमा से लगे अंदरुनी रास्ते से प्रवेश कर यह मुख्य रास्तों से जुड़ रहे हैं। जिस कारण सड़कों पर इनका सैलाब नजर आ रहा है।