हाईकोर्ट ने कहा- नए वाहनों के लिए भी जरूरी है फिटनेस प्रमाणपत्र

हाईकोर्ट ने कहा- नए वाहनों के लिए भी जरूरी है फिटनेस प्रमाणपत्र

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-29 12:43 GMT
हाईकोर्ट ने कहा- नए वाहनों के लिए भी जरूरी है फिटनेस प्रमाणपत्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुराने वाहनों के तरह नए वाहनों के लिए भी फिटनेस प्रमाण पत्र जरूरी हैं। बांबे हाईकोर्ट का कहना है कि नए वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र के बगैर कार कंपनियों पर भरोसा कर उनका रजिस्ट्रेशन करके सरकार कानून का उलंघन कर रही है। बगैर जांच के आरटीओ द्वारा वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत कर्वे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। न्यायमूर्ती अभय ओक व न्यायमूर्ती रियाझ छागला की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई चल रही है। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि केवल 15 वर्ष पुराने वाहनों के लिए ही फिटनेस प्रमाणपत्र की अनिवायर्ता क्यो? भले ही नए वाहन कंपनी द्व्रारा जांच-पड़ताल के बाद ग्राहकों तक पहुंचते हो, इसके बावजूद राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि उन वाहनों की पड़ताल करे। हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह मोटर वेहिकल एक्ट 1988 का कड़ाई से पालन करते हुए महिने भर के भीतर नए वाहनों के आरटीओ रजिस्ट्रेशन के साथ ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने की बाबत अपनी भूमिका स्पष्ट करे।

गैर अनुदानित स्कूलों को 20 फिसदी ही दिया अनुदान

दूसरे एक मामले में राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि उसने पहले से ही 1682 गैर अनुदानित (अनएडेड) स्कूलों को सरकारी नीति के तहत 20 फीसदी तक वित्तीय मदद मुहैया कराई है। जिन स्कूलों को आर्थिक सहायता के योग्य पाया गया उन्हें यह मदद दी गई है। सरकार ने फिर दोहराया कि सभी स्कूलों को एक जैसी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है किसी को 100 फीसदी मदद नहीं दी गई है। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ इस संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। मामले में शिक्षा विभाग के एक अधिकारी द्वारा स्थायी रुप से गैर अनुदानित स्कूलों को अनुदान के मामले में दिए बयान पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। इसके पहले एक शिक्षा अधिकारी ने कहा था कि राज्य के स्कूलों को 100 फीसदी अनुदान दिया गया है। जबकि नीति के मुताबिक राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से अनुदान देती है और प्रत्येक चरण में 20 फीसदी रकम दी जाती है। सरकारी वकील एआई पटेल ने कहा कि नीति के मुताबिक सरकार ने स्कूलों को 20 फीसदी अनुदान दिया है। सरकारी वकील ने सफाई दी कि कुछ लोगों से शिक्षा अधिकारी का बयान समझने में गलती हुई है। अदालत ने सरकार की ओर से दी गई सफाई को स्वीकार करते हुए नागरिक आवेदन की अनुमति दे दी। 

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