कृषि उपज की सही कीमत न मिलने से आत्महत्या को मजबूर हो रहे किसान

 किसान संगठनों की मांग कृषि उपज की सही कीमत न मिलने से आत्महत्या को मजबूर हो रहे किसान

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-13 09:06 GMT
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डिजिटल डेस्क, मुंबई. राज्य के किसान संगठनों ने महाराष्ट्र में किसानों की बदहाली के लिए कृषि उपज की सही कीमत न मिलने को जिम्मेदार बताया है। संगठनो की मांग है कि किसानों के उत्पादों के लिए उचित कीमत दिया जाए जिससे किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर न हो। पिछले दिनों विपक्ष के नेता अजित पवार ने विधानसभा में कहा था कि महाराष्ट्र में सात महीने के दौरान एक हज़ार से ज्यादा किसानोंने आत्महत्या की है। इस जानकारी के सामने आने पर किसान संगठनों ने एक बार फिर से किसानहित में अपनी विभिन्न मांगें तेज कर दी है।विपक्ष के नेता ने आत्महत्या के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा था की प्रतिदिन औसतन आठ किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या की दर बढ़ी है क्योंकि किसानों को कपास के लिए उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। सरकार उन्हें मुआवजा भी नहीं दे रही है।सरकार बड़ी बड़ी बातें और बड़े बड़े एलान करने में लगी है, जबकि फसल बीमा कंपनियां किसानो के साथ घोखाधड़ी करने में लगी हैं । 

हर सरकार में जाती रही है किसानों की जान 

राज्य में पिछले कुछ वर्षों के आकड़ों पर नजर डालें तो देवेंद्र फडणवीस सरकार के 2014 से 2019 के दौरान पांच वर्षों में  5061 किसानों ने आत्महत्या की था।  2019 से 2021 के दौरान ढाई साल तक उद्धव ठाकरे की सरकार थी। इस दौरान1660 किसानों ने आत्महत्या की थी। हालांकि इस दौरान आत्महत्या की दर कम थी। कोरोना संकट भी इसका एक कारण हो सकता है।शिंदे फडणवीस सरकार के दौरान पिछले सात महीने में 1023 किसानों ने आत्महत्या की है। पिछले आठ वर्षों में साढ़े छह हजार किसान अपनी जान गवा चुके हैं। 

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता रविकांत तुपकर ने कहा की सरकार से हमारी एक ही गुजारिश है की गांव के किसानों की मुलभूत समस्या का समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि वास्तव में किसानों को सरकार से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों की आत्महत्या अगर रोकनी है तो इसके लिए उनकी मुलभूत समस्याओं का समाधान निकालना पडेगा वरना एक दिन ऐसा आएगा महारष्ट्र में कोई किसान नहीं रहेगा। सरकार इसको जेल में डालो, उसको बदनाम करो, उसकी जांच करो, एक दूसरे का नाम ख़राब करने और हर कीमत पर सत्ता बरकरार रखने में व्यस्त है। किसानो की सुध नहीं ले रही है। तुपकर ने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद शिंदे ने कहा था कि अब कोई किसान आत्महत्या नहीं करेगा पर इनके राज में आत्महत्या की दर और बढ़ गई। मुख्यमंत्री के आश्वासन का क्या हुआ? 

 
 

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