देवेन्द्र फडणवीस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, पुनर्विचार याचिका निरस्त
देवेन्द्र फडणवीस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, पुनर्विचार याचिका निरस्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्षी नेता देवेन्द्र फडणवीस को सुप्रीम कोर्ट से जोरदार झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फडणवीस की उस पुनर्विचार याचिका को निरस्त कर दिया है जिसमें उन्होंने 2014 के चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ लंबित दो आपराधिक मामलों का खुलासा नही करने पर मुकदमें का सामना करने का फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यामूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। दोपहर बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फडणवीस की ओर से रखी सभी दलीलों को अस्वीकार करते हुए पुनर्विचार याचिका को समाप्त करने का फैसला सुनाया। फडणवीस के वकील मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान दलील में पीठ को कहा कि यह मुकदमा मेरे मुवक्किल के भाग्य पर मुहर लगाने वाला है। इतना ही नहीं चुनाव लड़ने वाले दूसरे उम्मीदवारों के लिए भी इस मुद्दे के दूरगामी परिणाम होंगे। इसलिए शीर्ष अदालत को 1 अक्टूबर,2019 के अपने फैसले पर पुन र्विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 और 2003 में भी चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह उम्मीदवारों से आवश्यक जानकारी के रुप में हलफनामे में वह जानकारी ले, जिसमें उम्मीदवार को सजा हुई है, दोषी ठहराया गया है और अदालत द्वारा मामले का संज्ञान लिया गया हो। संसद ने राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए कानून तो बना दिया, लेकिन उसमें तीसरी कैटेगरी (अदालत द्वारा मामले का संज्ञान लिया हो) को शामिल नहीं किया था। बहस के दौरान रोहतगी ने कहा कि तीसरी कैटेगरी उम्मीदवारों के लिए समस्या पैदा करने वाली है। कहा कि यदि किसी उम्मीदवार ने हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं दी है तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाना गलत है। इसलिए इस कैटेगरी को रद्द किया जाना चाहिए।
रोहतगी ने कहा कि किसी उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला दो सुरतों पर चलाया जा सकता है। पहला आरोप तय होने के बाद मामले की जानकारी नहीं देना और दूसरा दोषी ठहराए जाने की जानकारी नहीं देने पर। भाजपा नेता फडणवीस ने अपने हलफनामे में कोई झूठी जानकारी नहीं दी है। मेरे मुवक्किल पर गलत तरीके से मुकदमा चलाया गया है। इस पर पीठ ने कहा कि आपकी सभी दलीलों को इससे पहले भी हमने विस्तृत रुप से सुना है। आज भी आपकी दलीलों में कोई नया मुद्दा नहीं है। इसलिए मामले के सभी बिंदूओं का संज्ञान लेकर ही मुल फौजदारी अपील से यह फैसला सुना रहे है। जिस पर रोहतगी ने कहा कि यह मुकदमा मेरे मुवक्किल के भाग्य पर मुहर लगाने वाला है। लेकिन पीठ ने उनकी सभी दलीलों को अस्वीकार करते हुए याचिका निरस्त कर दी।