नीरी में एनवायरमेंटल मॉडलिंग : जल संकट से निपटने हो तंत्र विकसित
नीरी में एनवायरमेंटल मॉडलिंग : जल संकट से निपटने हो तंत्र विकसित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है, जहां 21वीं सदी में संभावित जल समस्याओं के लिए जल संसाधन के प्रबंधन पर ध्यान देने के लिए वाटर रिसाेर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी (एमडब्ल्यूआरआरए) काम कर रही है। एमडब्ल्यूआरआरए राज्य में उपयोग की श्रेणी के आधार पर जल उपयोग की गणना पर काम कर रहा है। ताजा जल के कृषि या उद्योग कार्यों में उपयोग संबंधी माप या नियमों का अब तक अभाव है। इससे जल की बर्बादी या जरूरत से ज्यादा जल लिये जाने के मामले सामान्य हैं। हम वैज्ञानिकों से ऐसा तंत्र तैयार करने की अपील कर रह हैं, जिससे राज्य में गणना, ऑडिट व मूल्य के सहयोग से जल उपयोग अधिक जिम्मेदारीपूर्ण हो।
राज्य में बिग डेटा, रियल टाइम डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन की चुनौती से निपटा जा सकता है। ये विचार विनोद कुमार तिवारी ने व्यक्त किए। महाराष्ट्र वाटर रिसाेर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी (एमडब्ल्यूआरआरए ) के सदस्य तिवारी नीरी में एनवाॅयरमेंटल मॉडलिंग : ‘रिसॉलविंग कॉम्पेक्ससिटी फॉर ए प्रीडिक्टिबल टूमारो’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यशाला में आईआईटी, गांधीनगर के विजटिंग प्रोफेसर व नीरी के पूर्व निदेशक डॉ. आर.एन. सिंह, नीरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जे.एस. पांडेय, डॉ. आर.बी. बिनवले, आभा सरगांवकर उपस्थित थे।
गणितीय मॉडल का उपयोग
डॉ. आर.एन. सिंह ने कहा कि गणितीय मॉडल का उपयोग पर्यावरण संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक समस्या की जटिलता को विभिन्न भागों में बांटकर उसका समाधान खोज सकते हैं।
मानवाधिकार, भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग: न्या.मोडक
मानवाधिकार विषय भारत के लिए कोई नया नहीं है। यह हमेशा से ही भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है। लेकिन भारत में मानवाधिकार के बार में ज्यादा जागरूकता नहीं है। ऐसे में विधि विद्यार्थियों और अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी है कि, वे समाज में मानवाधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने का जिम्मा उठाएं।
न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक ने हाल ही में नागपुर विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट विधि विभाग द्वारा आयोजित गेस्ट लेक्चर में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। "भारतीय दृष्टिकोण से मानवाधिकार" विषय पर मार्गदर्शन कर रहे थे। अपने संबोधन में न्या.मोडक ने मानवाधिकार से जुड़े अधिकारों, समस्याओं और समाधान का जिक्र किया। कार्यक्रम का आयोजन विभाग प्रमुख डॉ.विजेता भलावे के मार्गदर्शन में किया गया। डॉ.पायल ठवरे, डॉ. उर्वशी गुहा और एड.ओंकार देशपांडे ने कार्यक्रम के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई।