अब अगले वर्ष ही शुरू होगा इंजीनियरिंग का नया सिलेबस
अब अगले वर्ष ही शुरू होगा इंजीनियरिंग का नया सिलेबस
डिजिटल डेस्क,नागपुर। 1 अगस्त से इंजीनियरिंग का नया पाठ्यक्रम लागू करने के अपने फैसले को यूनिवर्सिटी ने टाल दिया है। नया पाठ्यक्रम अब अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। उसके पूर्व जगह जगह वर्कशॉप आयोजित कर नए पाठ्यक्रम की जानकारी दी जाएगी, यूनिवर्सिटी समय से काफी पहले नया पाठ्यक्रम अपनी वेबसाइट पर भी डालेगा, ताकि विद्यार्थियों को उसकी पूरी जानकारी मिल सके। 25 जुलाई को भास्कर हिंदी ने प्रकाशित किया था कि नागपुर यूनिवर्सिटी नया पाठ्यकम तो लागू करने जा रहा है, लेकिन इसके लिए स्थानीय प्राध्यापकों से राय नहीं ली गई है। यूनिवर्सिटी के प्राधिकरण भी इस पर एक मत नहीं है, न ही यूनिवर्सिटी ने पर्यापत वर्कशॉप लेकर शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम की जानकारी दी है। इसी मुद्दे को लेकर सीनेट सदस्य एड. मनमोहन वाजपेयी और डॉ. धनश्री बोरिकर ने कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे से मुलाकात की। सीनेट सदस्यों ने कुलगुरु को बताया कि किस प्रकार प्रस्तावित पाठ्यक्रम को लेकर इंजीनियरिंग कॉलेजों की तैयारी नहीं है। इस प्रकार नया पाठ्यक्रम लादे जाने से गंभीर परिणाम होंगे। जिसके बाद कुलगुरु ने अगले शैक्षणिक सत्र से पूरी तैयारी के साथ यह पाठ्यक्रम लागू करने पर हामी भरी।
तैयारी पूरी नहीं थी
दरअसल अखिल भारतीय तंत्र परिषद (एआईसीटीई) ने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व नागपुर विश्वविद्यालय को इंजीनियरिंग का नया पाठ्यक्रम भेज कर इसे लागू करने को कहा था। नागपुर यूनिवर्सिटी में इस दौरान बोर्ड ऑफ स्टडीज नहीं थे। लिहाजा इसे टाल दिया गया।
इस साल शुरू करने बोर्ड ऑफ स्टडीज ने जताई आपत्ति
इंजीनियरिंग के विविध विषयों के बोर्ड गठित करने के बाद यूनिवर्सिटी को नया पाठ्यक्रम लागू करने के लिए बैठक, चर्चासत्र बुलाने थे, लेकिन जून माह में शिक्षण मंच की ओर से प्राचार्य डॉ. एस.आर. चौधरी की अध्यक्षता में समिति तैयार की गई। समिति ने एआईसीटीई के निर्देशों के मुताबिक नागपुर यूनिवर्सिटी के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया, लेकिन उसमें उल्लेखित विविध स्कीमों का उल्लेख नहीं होने के कारण बोर्ड ऑफ स्टडीज सदस्यों ने आपत्ति जताई। नागपुर के अन्य प्राचार्यों और प्राध्यापकों के अनुसार नए पाठ्यकम पर विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कॉलेज में जारी एडमिशन के दौरान कुछ काॅलेजों में कार्यशाला हुई, लेकिन उसमें अधिकांश प्राध्यापक शामिल नहीं हो पाए। नियमानुसार यूनिवर्सिटी को अपनी वेबसाइट पर 4 वर्ष का पाठ्यक्रम डालना जरूरी होता है। समिति ने अभी तक केवल एक साल का पाठ्यक्रम सार्वजनिक किया है, शेष तीन वर्षों के पाठ्यक्रम की कोई जानकारी नहीं दी गई। जिस पर इंजीनियरिंग कॉलेजों की ओर से असंतोष दर्शाया गया था।