मक्का में भारतीय यात्रियों के लिए हज हाउस की मांग पर जोर, घट सकत है किराया

मक्का में भारतीय यात्रियों के लिए हज हाउस की मांग पर जोर, घट सकत है किराया

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-28 07:17 GMT
मक्का में भारतीय यात्रियों के लिए हज हाउस की मांग पर जोर, घट सकत है किराया

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  महाराष्ट्र राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने हज यात्रा के किराये में कटौती कर और सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय यात्रियों के लिए मक्का में हज हाउस बनाने का सुझाव दिया है। मक्का में हज हाउस का निर्माण किए जाने पर हज यात्रियों का किराया 60-70 हजार रुपए घट सकता है और बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी मक्का में हज हाउस के निर्माण पर जोर दिया था। 

दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में जमाल सिद्दीकी ने कहा कि भारत से करीब डेढ़ लाख लोग हज यात्रा पर जाते हैं। इतनी बड़ी संख्या में हज पर जाने वाले यात्रियों के निवास की व्यवस्था पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। इस वर्ष हाजियों के निवास की व्यवस्था पर करीब 1,232 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसका बोझ हाजियों की जेब पर पड़ता है। यदि भारत सरकार मक्का में हज हाउस का निर्माण करती है, तो करीब 60-70 हजार रुपए की बचत हो सकती है।

1959 से एक भी इमारत नहीं
सिद्दीकी ने बताया कि सन 1927 से हज कमेटी ऑफ बाम्बे के जरिए लोग हज यात्रा पर जाते थे। 1932 में हज कमेटी कोर्ट ट्रस्ट बना और सन 1959 में हज कमेटी आॅफ इंडिया का गठन किया गया। ताज्जुब की बात यह है कि 1959 से अब तक मक्का में एक भी इमारत का निर्माण भारत की ओर से नहीं किया गया। अभी पुरानी इमारतों में हाजियोें को ठहराया जाता है। कमोड से लोगों को परेशानी होती है। एक ही स्थान पर महिला-पुरुष की व्यवस्था होती है। मेहरम के लिए पर्दे का इंतजाम नहीं होता। 

हैदराबाद, भोपाल के नवाबों की सराय
उन्होंने कहा कि मक्का में हमारा कोई स्थायी निवास व्यवस्था नहीं है। हैदराबाद, भोपाल, टोंक (राजस्थान) के तत्कालीन नवाबों और बोहरा समाज की सराय (धर्मशाला) है। इसके कारण इन क्षेत्रों के लोगों का हज सस्ता होता है और उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, जबकि अन्य हज यात्री अलग-अलग क्षेत्रों में बिखरे रहते हैं। हज हाउस बनने पर िनवास किराया नहीं देना पड़ेगा।

सुषमा स्वराज ने भी उठाया था मुद्दा
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी मक्का में भारतीय हज यात्रियों के आवास के लिए जगह तलाश करने की बात मंत्रालय के अधिकारियों से कही थी। उनका कहना था कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने मक्का में कोई जमीन नहीं ली है। हर साल देश से लाखों यात्री मक्का जाते हैं, लेकिन उनके आवास की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण भारतीय हज यात्रियों को किराये की जगह पर रुकना पड़ता है। स्वराज ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया था कि स्वतंत्रता पूर्व जूनागढ़ रियासत की चार इमारतें मक्का में थीं। इन इमारतों की खोज की जाए ताकि उनका पुनर्निर्माण कर भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए निवास के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। 

 सन 2019 में यात्रियोंं के निवास का किराया
मक्का          श्रेणी               किराया
  1)                  ग्रीन                84,015 रुपए
  2)                 अजीजिया         42,941 रुपए

मदीना          श्रेणी               किराया
  1)                 ग्रीन                14,936 रुपए
  2)                अजीजिया          14,936 रुपए

मीना में टेंट का किराया 30 हजार 395 रुपए लिया जाता है। 333 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। 

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