शिक्षा संस्थान चालक निजी स्कूल नहीं चला सकते तो सरकार को सौंप दें - दीपक केसरकर 

बड़ा बयान शिक्षा संस्थान चालक निजी स्कूल नहीं चला सकते तो सरकार को सौंप दें - दीपक केसरकर 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-20 15:06 GMT
शिक्षा संस्थान चालक निजी स्कूल नहीं चला सकते तो सरकार को सौंप दें - दीपक केसरकर 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने सरकारी अनुदानित निजी स्कूलों को लेकर बड़ा बयान दिया है। केसरकर ने कहा कि यदि संस्थान चालक निजी स्कूलों को चला नहीं सकते हैं तो उन स्कूलों को राज्य सरकार को सौंप दें। सरकार निजी स्कूलों को चलाकर दिखाएगी।केसरकर ने कहा कि राजस्थान सरकार ने निजी स्कूलों को अपने कब्जे में लिया है। फिर महाराष्ट्र सरकार क्यों नहीं यह फैसला ले सकती है ? सोमवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान शिक्षक विधायकों ने निजी स्कूलों को वेतनेतर (अन्य कार्य) खर्च के लिए अनुदान देने के बारे में सवाल पूछा था। इसके जवाब में केसरकर ने कहा कि सरकार निजी स्कूलों के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों के वेतन के लिए अनुदान देती है। निजी स्कूलों के प्रबंधन को केवल वेतनेतर खर्च करना पड़ता है। यदि निजी स्कूलों के प्रबंधन वेतनेतर खर्च भी नहीं उठा सकते हैं तो स्कूलों को सरकार को सौंप दें। सरकार निजी स्कूलों को अपने दम पर चालकर दिखाएगी। सरकार निजी स्कूलों के बारे में बहुत बड़ा फैसला लेने के लिए तैयार है। मैं इस बारे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से चर्चा करूंगा। मुझे विश्वास है कि मैं दोनों को इस फैसले के बारे में सहमत कर लूंगा। केसरकर ने कहा कि प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन पर सालाना 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपए खर्च होता है। जिसमें से 66 हजार करोड़ रुपए वेतन पर शिक्षकों के वेतन पर खर्च किया जाता है। इसलिए सरकार ने अनुदान के बारे में सोच विचार कर फैसला नहीं लिया तो सरकार का बजट बिगड़ सकता है। इस पर निजी संस्थान चालकों को विचार करना चाहिए। केसरकर ने कहा कि शिक्षक विधायकों को विचार करना चाहिए कि उन्हें निजी शिक्षा संस्थानों के पक्ष में सदन में बोलने का अधिकार है अथवा नहीं। विद्यार्थी शिक्षा का केंद्र बिंदु हैं। शायद शिक्षक विधायक यह भूल गए होंगे, मगर मैं यह नहीं भूला हूं। केसरकर ने कहा कि केंद्र सरकार की समग्र योजना का लाभ निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को नहीं मिल पाता है क्योंकि वह अनुदान निजी स्कूलों को देने का प्रावधान नहीं है। इस पर राकांपा के सदस्य एकनाथ खडसे ने कहा कि मैं केसरकर की घोषणा का स्वागत करता हूं। सरकार निजी स्कूलों की इमारत और जमीन की संपत्ति का पैसा संबंधित शिक्षा संस्थान को देने का फैसला करें। इसके बाद सरकार निजी स्कूलों को अपने कब्जे में लेने का फैसला करें। संस्थान चालक सरकार को निजी स्कूल मुफ्त में नहीं देंगे। इस पर केसरकर ने कहा कि राज्य में जिन निजी स्कूलों को कर्ज लेकर बनाया गया है। उनका मामला अलग हो सकता है। लेकिन राज्य के अधिकांश निजी स्कूलों लोगों से चंदा लेकर खोले गए हैं। चंदे के पैसे से खोले गए स्कूलों की संपत्ति पर निजी संस्थान चालक दावा नहीं कर सकते हैं। इस बीच  निर्दलीय सदस्य किरण सरनाईक ने साल 2008 से मान्यता प्राप्त स्कूलों को वेतनेतर अनुदान देने के बारे में सवाल पूछा था। इसके जवाब में केसरकर ने कहा कि सरकार प्रदेश के स्कूलों को वेतनेतर अनुदान देने के बारे में सरकार सकारात्मक है। स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इस बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा। वेतनेतर अनुदान के बारे में अदालत ने आदेश दिया है। केसरकर ने सरकार ने वेतनेतर अनुदान पर 266 करोड़ रुपए खर्च सीमा निर्धारित की थी। लेकिन यदि सातवें वेतन आयोग के अनुसार स्कूलों को  वेतनेतर अनुदान दिया गया तो सरकार की तिजोरी पर 1480 करोड़ रुपए पर भार पड़ेगा। इसलिए सरकार वेतनेतर अनुदान के बारे में सकारात्मक फैसला करेगी। 

केसरकर का बयान ऐतिहासिक – उपसभापति

जिसके बाद उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि केसरकर ने ऐतिहासिक बयान दिया है। मैंने इतने वर्ष में इस तरह का बयान नहीं सुना था। लेकिन केसरकर को पहले मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा संस्थानों से चर्चा करना चाहिए। इसके बाद भी लगता है कि सरकार को ही स्कूल चलाना चाहिए तो इस बारे में अंतिम फैसला लिया जा सकता है। उपसभापति ने कहा कि स्कूल किसी की जागीर नहीं है जिसको उठाकर किसी दूसरे के हाथ में दे दिया जाए। सरकार को काफी सोच विचार करके नीतिगत फैसला करना पड़ेगा। 
 

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