महाराष्ट्र में सूखे के आसार, नागपुर-अमरावती छोड़ मराठवाड़ा में हो सकती है पानी की किल्लत

महाराष्ट्र में सूखे के आसार, नागपुर-अमरावती छोड़ मराठवाड़ा में हो सकती है पानी की किल्लत

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-03 13:00 GMT
महाराष्ट्र में सूखे के आसार, नागपुर-अमरावती छोड़ मराठवाड़ा में हो सकती है पानी की किल्लत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मानसून की बेरुखी के कारण प्रदेश में जलसंकट गहरा सकता है। राज्य के जलाशयों में पिछले साल की तुलना में अभी 9.28 प्रतिशत पानी कम है। मराठवाड़ा अंचल में पानी कि किल्लत ज्यादा हो सकती है। क्योंकि गत वर्ष के मुकाबले यहां के जलाशयों में 37.46 प्रतिशत जलसंचय कम है। प्रदेश सरकार के जलसंसाधन विभाग के अनुसार मंगलवार को राज्य के 3266 जलाशयों में कुल 34 हजार 185 दलघमी (दस लाख घन मीटर) पानी उपलब्ध रहा। इन जलाशयों में पिछले साल 74.65 प्रतिशत पानी उपलब्ध था। लेकिन इस बार 65.37 प्रतिशत ही है। मराठवाड़ा में बीते साल 65.19 प्रतिशत की तुलना में फिलहाल 27.73 प्रतिशत जल भंडारण है। नाशिक विभाग में भी इस साल जल संचय 17.02 प्रतिशत कम हुआ है। नाशिक विभाग के जलाशयों में 64.92 प्रतिशत पानी है। जबकि बीते साल 82.12 प्रतिशत पानी उपलब्ध था।

नागपुर-अमरावती में स्थिति बेहतर
अमरावती विभाग में गत वर्ष के मुकाबले इस साल स्थिति बेहतर है। अमरावती विभाग में 58.13 प्रतिशत पानी है। जबकि पिछले साल यहां के जलाशयों में 38.33 प्रतिशत जलसंचय हो पाया था। नागपुर विभाग में बीते साल 47.76 प्रतिशत की तुलना में अभी 50.26 प्रतिशत पानी उपलब्ध है। कोंकण विभाग के जलाशयों में पिछले साल की तुलना में पांच प्रतिशत कम यानी 90.25 प्रतिशत पानी है। पुणे विभाग के जलाशयों में भी पांच प्रतिशत कम यानी 84.61 प्रतिशत पानी उपलब्ध है। मांजरा और माजलगांव जलाशय में बुधवार को  जलस्तर शून्य हो गया। 

विभागवार पानी की स्थिति 
मराठवाड़ा विभाग  - 27.73 प्रतिशत
नाशिक विभाग - 64.92 प्रतिशत
नागपुर विभाग - 50.26 प्रतिशत
अमरावती - 58.13 प्रतिशत
कोंकण विभाग -90.25 प्रतिशत
पुणे विभाग -84.61 प्रतिशत
जलाशयों में जलभंडारण 
गोसीखुर्द - 49.79 प्रतिशत
जायकवाडी - 42.88 प्रतिशत
कामठी खैरी- 44.65 प्रतिशत
खिंडसी - 46.75 प्रतिशत
तोतलाडोह - 30.01 प्रतिशत
नांद - 100 प्रतिशत
वडगांव -85 प्रतिशत
निम्न वर्धा 31.48 प्रतिशत 
निम्न दुधना - 23.37 प्रतिशत
निम्न मनार- 41.05 प्रतिशत 
येलदरी - 9.45 प्रतिशत 
सिद्धेश्वर -24.10 प्रतिशत 

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