डॉक्टर उदय बोधनकर ने बताए स्क्रीन टाइम के खतरे, बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी के लिए करें मोटीवेट

सावधान डॉक्टर उदय बोधनकर ने बताए स्क्रीन टाइम के खतरे, बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी के लिए करें मोटीवेट

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-15 13:14 GMT
डॉक्टर उदय बोधनकर ने बताए स्क्रीन टाइम के खतरे, बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी के लिए करें मोटीवेट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाल दिवस के मौके पर उपराजधानी में कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दिन को खास बनाने के लिए जानेमाने बाल रोग डॉक्टर उदय बोधनकर ने माता-पिता को आदर्श पालन-पोषण की जानकारी दी। साथ ही अत्यधिक स्क्रीन टाइम के खतरों से अवगत कराया। डॉक्टर बोधनकर ने बताया कि बच्चे जितनी फिजिकल एक्टिविटी करेंगे, उतनी ही स्क्रीन टाइम की ललक कम होगी। बच्चों तो मोटिवेट करना चाहिए. गेम्स, स्पोर्ट्स, आउटडोर, ट्रैकिंग, डांस, सिंगिंग और दोस्तों के साथ बाहर जाने के लिए कहना चाहिए। जब आस-पास बाहर जाएं, तब मोबाइल न ले जाएं, अगर ले गए तो ऑफलाइन मोड पर रखें। बच्चों को फिजिकल बुक्स दें, इलेक्ट्रॉनिक नहीं।

स्क्रीन टाइम और बच्चे

स्क्रीन टाइम एक शब्द है, जिसका उपयोग स्क्रीन के सामने की जाने वाली गतिविधियों के लिए किया जाता है, जैसे कि टीवी देखना, कंप्यूटर पर काम करना या वीडियो गेम खेलना।

स्क्रीन टाइम गतिहीन गतिविधि है, जिसका अर्थ है कि आप बैठे हुए शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो रहे हैं।

ज्यादातर भारतीय बच्चे दिन में करीब दो घंटे टीवी देखने में बिताते हैं।

स्क्रीन टाइम एक दिन में कुल 4 से 6 घंटे हो सकता है।

बहुत अधिक स्क्रीन देखने से बच्चे के लिए रात में सोना मुश्किल होता।

बहुत अधिक वजन (मोटापा) का जोखिम बढ़ता है

कंप्यूटर बच्चों को उनके स्कूल के काम में मदद करता है, इसके लिए भी समय निश्चित होता चाहिए

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