डीएनए का मिलान नहीं, फिर भी दुष्कर्मी को जेल रिपोर्ट में साबित नहीं हुआ गर्भ और आरोपी का संबंध

हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ डीएनए का मिलान नहीं, फिर भी दुष्कर्मी को जेल रिपोर्ट में साबित नहीं हुआ गर्भ और आरोपी का संबंध

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-17 12:54 GMT
डीएनए का मिलान नहीं, फिर भी दुष्कर्मी को जेल रिपोर्ट में साबित नहीं हुआ गर्भ और आरोपी का संबंध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपनी 14 वर्षीय प्रेमिका को घर से भगा कर उसे गर्भवती बनाने वाले युवक की 10 वर्ष की जेल की सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कायम रखा है। निचली अदालत ने उसे पॉक्सो अधिनियम के तहत दुष्कर्म और अपहरण का दोषी मान कर 10 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। आरोपी ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आरोपी की याचिका खारिज कर दी। इस प्रकरण में खास बात यह रही कि आरोपी और गर्भ के डीएनए टेस्ट में दोनों के बीच संबंध साबित नहीं हुआ, लेकिन दुष्कर्म की पुष्टि होने के कारण उसे सजा सुनाई गई। पीड़िता और युवक यवतमाल के बाबुलगांव के निवासी हैं। दोनों में प्रेम संबंध थे। पीड़िता 14 वर्ष की थी और कक्षा 9वीं में पढ़ती थी। 1 अप्रैल 2019 को आरोपी उसे अपने साथ भगा कर नागपुर ले गया। यहां दोनों करीब 4 दिन तक रहे और इस बीच दोनों में शारीरिक संबंध भी स्थापित हुए। इधर गांव में हंगामा मच गया। किशोरी के परिजनों ने युवक के खिलाफ अपहरण का मामला भी दर्ज करा दिया। इस बीच, 4 अप्रैल को दोनों गांव लौट आए। किशोरी ने पुलिस को बयान दे दिया कि युवक ने उसका अपहरण कर विवाह की इच्छा जताई। मना करने पर नागपुर ले जा कर 4 दिन तक उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने इस बयान के आधार पर आरोपी पर अपहरण और पॉक्सो के तहत दुष्कर्म का मामला दर्ज किया। दुष्कर्म के चलते पीड़िता 5 सप्ताह की गर्भवती भी हो गई। नियमानुसार, स्थानीय शासकीय अस्पताल में उसका गर्भपात कराया गया और आरोपी के खिलाफ सबूत के तौर पर गर्भजल का डीएनए सैंपल भी लिया गया। इधर, निचली अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को 10 वर्ष की जेल की सजा सुना दी। आरोपी ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी।

सहमति से साथ गई थी

इस पूरे मामले में हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी और पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे। पीड़िता भी सहमति से ही आरोपी के साथ गई थी, लेकिन कानून की दृष्टि में एक नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं है। उसके पालकों की सहमति के विरुद्ध उसे ले जाने के कारण इसे अपहरण ही माना जाएगा। वहीं डीएनए रिपोर्ट में आरोपी और गर्भ के बीच संबंध स्थापित न हुआ हो, फिर भी आरोपी ने पीड़िता के साथ संबंध बनाए यह साबित हुआ है। इसलिए उसे दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया।
 

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