GST से परेशान हैं म्यूचुअल फंड के वितरक
GST से परेशान हैं म्यूचुअल फंड के वितरक
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए भले 6 महीने हो गए हैं, लेकिन म्यूचुअल फंड उद्योग के वितरक इससे काफी परेशान हैं। इसका कारण 18 फीसदी जीएसटी इस उद्योग में लगाया गया है। हालांकि इससे निवेशकों को कोई परेशानी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक सरकार शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना चाहती है, तो इसके लिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर जीएसटी को कम से कम रखना चाहिए या हटा देना चाहिए। भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पिछले तीन सालों से 113 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है।
करीब 9 लाख एसआईपी उद्योग से जुड़े
एएएफएम के वेल्थ मैनेजमेंट कंवेशन में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, म्यूचुअल फंड में एएएफएम यानी एसेट अंडर मैनजमेंट नवंबर में 22 लाख 79 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो अक्टूबर में 21 लाख 41 हजार करोड़ रुपये था। चालू वित्तीय वर्ष के आठ महीनों में हर महीने में करीब 9 लाख एसआईपी इस उद्योग से जुड़े हैं। जानकारों का कहना है कि आम आदमी ने एसआईपी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया है। ऐसे में इस गति को बनाए रखने के लिए इस पर लगे 18 फीसदी जीएसटी को कम करना चाहिए। दरअसल 20 लाख रुपये के कारोबार वाले एजेंट को जीएसटी के तहत पंजीकृत कराना होगा। लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत उनको होगी जो 10 लाख रुपये तक कमाते है, क्योंकि उन्हें पहले 15 फीसदी सेवा कर देने से छूट मिली थी।
अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया
लगभग 70 से 80 हजार वितरक इससे सीधे प्रभावित होंगे जो सालाना 20 लाख से कम कमाते हैं। हालांकि म्यूचुअल फंड कंपनियां एजेंट्स को सहारा देने की पूरी कोशिश कर रही हैं। म्यूचुअल फंड उद्योग अभी भी एजेंटों की कमी से जूझ रहा है और इतनी बड़े उद्योग में सक्रिय रूप से महज 40-50 हजार एजेंट हैं। ऐसे में यह उद्योग पहले से ही कई दिक्कतों से जूझ रहा है और साथ ही इसमें निवेशकों के लिए केवाईसी (अपने ग्राहक को जानिए) भी काफी दिक्कत का काम है। फंड उद्योग पहले से ही इसे सरलीकरण करने की मांग कर रहा है, पर अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।