आदेश की अवहेलना सफेदपोश अपराधी जैसा बर्ताव है, 3 साल की जेल सही

जिला उपभोक्ता आयोग की सख्त टिप्पणी आदेश की अवहेलना सफेदपोश अपराधी जैसा बर्ताव है, 3 साल की जेल सही

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-31 13:09 GMT
आदेश की अवहेलना सफेदपोश अपराधी जैसा बर्ताव है, 3 साल की जेल सही

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला उपभोक्ता निवारण आयोग ने दो मामलों में सख्त रुख अपनाया है। एक में डेवलपर्स के संचालक को  जेल की सजा व जुर्माना और दूसरे मामले में बिल्डर को 15.62 लाख रुपए 2 वरिष्ठ नागरिकों को लौटने का फैसला सुनाया है।

संकल्प डेवलपर के संचालक धर्मेंद्र वंजारी को झटका
प्रतिवादियों से संपत्ति खरीदने के करार का मामला

केस-1

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग का आदेश जानबूझकर नहीं मानने का निरीक्षण देते हुए आयोग ने मेसर्स संकल्प डेवलपर्स के संचालक धर्मेंद्र वंजारी को 3 वर्ष की जेल और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है, साथ ही शिकायतकर्ता को दी गई मानसिक और शारीरिक परेशानी के एवज में 15 हजार रुपए जुआवजा देने का भी आदेश दिया है। आदेश में आयोग ने खासतौर पर लिखा है कि वंजारी ने कई बार मौके मिलने पर भी जानूबझ कर आदेश का पालन नहीं किया, यह तो एक सफेदपोश अपराधी की तरह बर्ताव है। शिकायतकर्ता रामदास मालेवार ने कुछ वर्ष पूर्व प्रतिवादियों से संपत्ति खरीदने का करार किया था। इसके एवज में कुछ रकम भी दी थी, लेकिन संपत्ति व्यवहार पूर्ण नहीं होने से शिकायतकर्ता ने आयोग की शरण ली थी, जिसे मान्य करते हुए आयोग ने 4 जुलाई 2019 को वंजारी को 1.32 लाख रुपए 28 सितंबर 2008 से 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया था। शिकायतकर्ता को हुई मानसिक और शारीरिक क्षति के लिए 15 हजार रुपए मुआवजा और आदेश जारी होने के 30 दिन तक पूर्ति नहीं होने के बाद 25 रुपए प्रतिदिन जुर्माना लगाया जाना था, लेकिन प्रतिवादी ने आदेश का पालन नहीं किया। शिकायतकर्ता ने दिसंबर 2020 में दोबारा आयोग की शरण ली।

सुनवाई में हाजिर नहीं हुए : इस मामले में आयोग के नोटिस पर वंजारी और दूसरी हिस्सेदार वंदना तरारे दोनों 30 सितंबर 2021 को आयोग के समक्ष हाजिर हुए। आयोग ने उन्हें 15 हजार के मुचलके पर अगली सुनवाई तक के लिए छोड़ दिया। इसके बाद दोनों समझौता हो रहा है, इस नाम पर सुनवाई आगे टालते रहे। 15 जून 2022 को वंजारी की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उन्हें जेल भेजा गया। तरारे हमेशा सुनवाई में अनुपस्थित रहीं। इसके बाद कई बार उन्हें जवाब देने, सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया गया, लेकिन दोनों ने इसका पालन नहीं किया, तो आयोग ने गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। पुलिस ने वंजारी को तो गिरफ्तार करके आयोग के समक्ष पेश किया, लेकिन तरारे फरार रहीं। तरारे के मामले में आयोग अगली सुनवाई में फैसला सुनाएगा।

केस-2
वरिष्ठ नागरिकों को बिल्डर लौटाएं 15.62 लाख रुपए नागपुर के जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने इंफ्रा एस्टेट बिल्डर संचालक सुनील फटिंग को 2 वरिष्ठ नागरिकों के 15.62 लाख रुपए लौटाने का आदेश दिया है, साथ ही शिकायतकर्ताओं को हुई मानसिक और शारीरिक परेशानी के एवज में 25 हजार रुपए और दावा खर्च के रूप में 10 हजार रुपए का मुआवजा भी देने का आदेश दिया है। आयोग के इस मामले के अनुसार शिकायतकर्ता अशोक इंगोले और सीमा ठाकरे ने नवंबर 2014 में प्रतिवादी के पास 2 प्लॉट बुक किए थे। प्रतिवादी ने उनसे समय-समय पर रकम तो ले ली और मई 2018 तक प्लॉट सौंपने का वादा किया था। काफी समय बीत जाने के बाद भी प्लॉट वापस नहीं मिला। ऐसे में शिकायकर्ताओं ने आयोग की शरण ली। उनकी ओर से एड. महेंद्र लिमए ने पक्ष रखा।
 

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