दीपक केसरकर ने कहा - प्रदेश सरकार निजी कोचिंग क्लासेस को नियंत्रित नहीं कर सकती

हस्तक्षेप नहीं दीपक केसरकर ने कहा - प्रदेश सरकार निजी कोचिंग क्लासेस को नियंत्रित नहीं कर सकती

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-21 15:52 GMT
दीपक केसरकर ने कहा - प्रदेश सरकार निजी कोचिंग क्लासेस को नियंत्रित नहीं कर सकती

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि राज्य सरकार निजी कोचिंग क्लासेस पर नियंत्रण नहीं ला सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार निजी कोचिंग क्लासेस के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। लेकिन निजी कोचिंग क्लासेस में शिक्षकों का वेतन सुनिश्चित करने और विद्यार्थियों की बैठने की सुविधा, आग नियंत्रण की व्यवस्था आदि सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक नियमावली बनाएगी। मंगलवार को विधान परिषद में कांग्रेस के सदस्य डॉ. वजाहत मिर्जा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए निजी कोचिंग क्लासेस के मनमानी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि सरकार को निजी कोचिंग क्लासेस पर नियंत्रण के लिए कानून बनाना चाहिए। इसके जवाब में केसरकर ने कहा कि सरकार ने निजी कोचिंग क्लासेस को लेकर राज्य के स्कूली शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि सरकार निजी कोचिंग क्लासेस को नियंत्रित नहीं कर सकती है। फिर भी सरकार निजी कोचिंग क्लासेस में विद्यार्थियों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल निजी कोचिंग क्लासेस का कहीं पर पंजीयन नहीं होता है। इससे पता नहीं चल पाता है कि राज्य में कितने  निजी कोचिंग क्लासेस चल रहे हैं। इसलिए सरकार निजी कोचिंग क्लासेस के पंजीयन की व्यवस्था बनाएगी। केसरकर ने कहा कि राज्य के कई स्कूलों में विद्यार्थी केवल हाजिरी लगाने के लिए कक्षा में जाते हैं। उसके बाद स्कूल से निकलकर वे निजी कोचिंग क्लासेस में जाकर पढ़ते हैं। इसके मद्देनजर सरकार स्कूलों को हाजिरी को लेकर सख्ती बरतने के निर्देश देगी। राज्य के सरकारी और अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को निजी कोचिंग क्लासेस में पढ़ाने पर रोक है। उन्होंने कहा कि निजी कोचिंग क्लासेस में पढ़ने के लिए जाना विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का व्यक्तिगत फैसला होता है। यदि सरकार निजी कोचिंग क्लासेस को नियंत्रित करेगी तो समाज में नाराजगी फैलने की संभावना है। केसरकर ने कहा कि सरकार राज्य के स्ववित्तपोषित स्कूलों में भी कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। सरकार केवल स्ववित्तपोषित स्कूलों शुरू करने की अनुमति देती है। राज्य में स्ववित्तपोषित स्कूलों के फीस पर नियंत्रण के लिए मांग उठती रहती है लेकिन सरकार ने इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। केसरकर ने कहा कि एक अध्ययन में पाया गया है कि राज्य के विद्यार्थी अंग्रेजी, गणित और विज्ञान में कमजोर हैं। इसलिए सरकार विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जोर दे रही है।  
 

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