त्र्यंबकेश्वर शिवलिंग के वज्रलेप में दरारें, कुछ हिस्से अलग हुए
नाशिक त्र्यंबकेश्वर शिवलिंग के वज्रलेप में दरारें, कुछ हिस्से अलग हुए
डिजिटल डेस्क, त्र्यंबकेश्वर। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और नाशिक जिले की त्र्यंबकेश्वर तहसील में स्थित भगवान त्र्यंबकराज के शिवलिंग पर किए गए वज्रलेप में दरारें आ गई हैं। इसके कुछ हिस्से अलग हो गए हैं। मामले को लेकर त्र्यंबकेश्वर मंदिर के विश्वस्त मंडल ने पुरातत्व विभाग से संपर्क किया है। अब पुरातत्व विभाग की टीम शिवलिंग का परीक्षण कर इसे सुरक्षित रखने के उपायों का अध्ययन करेगी। त्र्यंबकेश्वर शिवलिंग पर 22 फरवरी 2006 को तत्कालीन विश्वस्त मंडल और पुरातत्व विभाग के सहयोग से वज्रलेप किया गया था। बीते कुछ दिनों से इसमें दरारें देखी जा रही थीं। पुजारी और श्रद्धालु इस वजह से चुप्पी साधे थे कि कहीं मंदिर को दर्शन के लिए बंद न कर दिया जाए। दरारें आने की बात को गंभीरता से लेकर बीते शुक्रवार को पंचनामा करने के बाद रविवार को इसका अधिकृत खुलासा किया गया।
पुजारियों ने किया था वज्रलेप का विरोध, लोकसभा में भी उठा था मुद्दा
करीब 16 साल पहले शिवलिंग पर वज्रलेप करने के दूसरे ही दिन 23 फरवरी 2006 को मंदिर के पुजारियों ने आपत्ति जताते हुए संबंधित पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पुजारियों का आरोप था कि वज्रलेप के बाद शिवलिंग का मूल आकार बदल गया है। यह मुद्दा तत्कालीन सांसदों ने लोकसभा में भी उठाया था। अब बताया जा रहा है कि वज्रलेप पर कोटिंग करने का काम बाकी था। विरोध के चलते उस वक्त यह नहीं हो पाया। इसी वजह से वज्रलेप में दरारें आ गई हैं। बीते शुक्रवार को सुबह करीब 8:30 बजे पूजा करते वक्त पुजारी समीर दशपुत्र को मुख्य शिवलिंग के श्री ब्रह्मदेव और श्री शंकरदेव के गोल आवरण के कुछ हिस्से निकले हुए दिखाई दिए। उन्होंने मंदिर के विश्वस्त सुरेंद्र कुलकर्णी को जानकारी दी। कुलकर्णी ने ये हिस्से देवस्थान के सुरक्षा अधिकारी योगेश सोलंकी को सौंप दिए। ये वज्रलेप के हिस्से हैं, जो आकार में दो बाई दो इंच के हैं।
भूषण अडसरे, विश्वस्त के मुताबिक त्र्यंबकराज शिवलिंग पर दोबारा वज्रलेप करते हुए उसका संवर्धन जरूरी है। इसके लिए हमने पुरातत्व विभाग से संपर्क किया है। भविष्य में शिवलिंग में दरारें नहीं आएं, इसके लिए विशेष उपाय योजना करना आवश्यक है।
डॉ. सत्यप्रिय शुक्ल, विश्वस्त के मुताबिक वज्रलेप से शिवलिंग का आकार नहीं बदलना चाहिए। त्रिकाल पूजा के अलावा पंचामृत आदि से अभिषेक किए जाने पर रोक लगनी चाहिए। इसमें रासायनिक घटक होते हैं, जिन पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता है।