Nashik News: तकनीक की मदद - सिहस्थ कुंभ में अपराधियों सहित लापता लोगों की तलाश करेगा AI
- प्रयागराज के बाद नाशिक में होगा प्रयोग
- भीड़ नियंत्रित होगी
- 12 भाषाओं में मिलेगी सूचना
Nashik News : प्रयागराज में जनवरी 2025 में कुंभ संपन्न होगा। इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि (एआई) आधारित "इंटिग्रेडेट कमांड एंड कंट्रोल सेंटर' (आईसीसीसी) को कार्यरत किया गया है। ठीक उसी तरह नाशिक में भी साल 2026-27 में एआई का उपयोग किया जाएगा। संदिग्ध अपराधी व लापता लोगों की तलाश करने सहित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इसका उपयोग होगा। प्रयागराज का अभ्यास दौरा समाप्त होने के बाद पुलिस विभाग के सिंहस्थ कक्ष इस संदर्भ के प्रस्ताव की तैयारी शुरू कर दी है।
आगामी सिंहस्थ की पार्श्वभूमि पर नाशिक पुलिस के एक पथक ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का दौरा किया। इसमें धार्मिकस्थल, पर्वणी मार्ग सहित भीड़ नियंत्रण, बंदोबस्त, पुलिसिंग, यातायात, कानून व सुव्यवस्था का पथक ने अभ्यास किया। पथक में पुलिस उपायुक्त चंद्रकांत खांडवी, सहायक आयुक्त संदीप मिटके, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुशीला कोल्हे, युवराज पतकी, सोहन माछरे आदि शामिल रहे।
सिंहस्थ के लिए नाशिक पुलिस 11 सौ करोड़ रुपए का बजट तैयार किया है। इसमें अपेक्षित पुलिस चौकी, सीसीटीवी, वायरलेस यंत्र, वॉच टॉवर, ड्रोन कैमरे, अतिरिक्त मानवसंसाधन के खर्च सहित अन्य यंत्र सामग्री के अलावा "एआई' के उपयोग का सॉफ्टवेयर शामिल हैं।
इस तरह से होगा उपयोग
प्रयागराज के आईसीसीसी में सभी कैमरों की फीड पुलिस को मिलती है। किसी व्यक्ति के कपड़ों का रंग व ऊंचाई दर्ज करने पर एआई के माध्यम से संबंधित व्यक्ति के फोटो तत्काल सामने आते हैं। इससे भीड़ में शामिल व्यक्ति कम समय में पहचान होती हैं। संबंधित व्यक्ति के फोटो पर "क्लिक' करने के बाद नजदीकी सेक्टर अथवा पुलिस चौकी की जानकारी मिलती है। साथ ही, वहां पर तत्काल फोन और स्पीकर के माध्यम से सूचना पहुंचती है। इस कार्य पद्धति के माध्यम से संदिग्ध अथवा लापता व्यक्तियों की तलाश करना आसान होता है। इसके अलावा किसी एक स्थान पर भीड़ अधिक होने के बाद कहां पर भीड़ को नियंत्रित करना है।
पुलिस अधिकारी संदीप कर्णिक ने कहा कि सिंहस्थ में कानून व सुव्यवस्था सहित आंतकवादी गतिविधियों पर ध्यान रखना महत्वपूर्ण होगा। धार्मिकस्थल, बस व रेलवे स्टेशन सहित भीड़भाड़ वाले इलाकों में सीसीटीवी होंगे। तंत्रस्नेही पुलिसकर्मियों की मदद से "एआई' का उपयोग संभव है।