हत्यारे बाप-बेटों को कोर्ट ने 3 बार सुनाई आजीवन कारावास की सजा, 2.30 लाख का अर्थदंड भी लगाया
हत्यारे बाप-बेटों को कोर्ट ने 3 बार सुनाई आजीवन कारावास की सजा, 2.30 लाख का अर्थदंड भी लगाया
डिजिटल डेस्क सतना। दिन दहाड़े दहेज के लिए पत्नी और 2 मासूम बच्चों की बेदम पिटाई करने और बांध कर बंद कमरे में जला कर मार डालने और साक्ष्य मिटाने के एक लोमहर्षक गुनाह के आरोप प्रमाणित पाए जाने पर मैहर के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनोज लढिय़ा की अदालत ने मृतिका विंध्येश्वरी बाई के पति कमलाकांत गौतम , ससुर राजेन्द्र गौतम, देवर शिवशंकर गौतम और हरिशंकर गौतम (सभी निवासी बड़ी पहडिय़ा मैहर) को अलग-अलग धाराओं में 3 बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई। चारों आरोपियों को अदालत ने 2 लाख 30 हजार के अर्थदंड से भी दंडित किया है।
पिटाई से टूट गई थीं पसलियां-
अभियोजन के संभागीय प्रवक्ता फखरूद्दीन ने बताया कि आरोपी पति और उसके परिजन शादी के बाद से ही विंध्येश्वरी बाई गौतम को दहेज के लिए तरह-तरह से प्रताडि़त किया करते थे। आरोपियों ने षडयंत्र पूर्वक वर्ष 2017 की 17 जनवरी को विंध्येश्वरी, 6 वर्ष की बेटी शिष्टी और 10 वर्ष के बेटे विवेक को एक कमरे में बंद कर दिया। तीनों को बांधकर बेदम पिटाई की। पिटाई में विंध्येश्वरी की तीन पसलियां भी टूट गईं। दहेज लोभियों का मन इतने पर भी नहीं भरा बंद कमरे में तीनों पर मिट्टी का तेल छिड़कर आग लगा दी और कमरा बाहर से बंद कर दिया।
चीख पुकार पर पड़ोसी एवं अन्य ग्रामीण मदद के लिए पहुंचे। दरवाजा खोल कर आग बुझाई । मां-बेटी और बेटे को इलाज के लिए मैहर ले गए। मगर इलाज के दौरान तीनों की मृत्यु हो गई। आरोपी पति,ससुर और दोनों देवरों के खिलाफ मैहर थाने में आईपीसी की धारा-498, 302, 201 और 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। अभियोजन की ओर इस चिन्हित प्रकरण की पैरवी अतिरिक्त डीपीओ गणेश पांडेय ने की।
रिश्ते को शर्मसार कर छिपाए साक्ष्य-
प्रकरण के विचारण के दौरान आरोपियों की ओर से सजा में रहम बरते जाने की दलील रखी गई कि आरोपी ससुर 60 वर्षीय बुजुर्ग है और अन्य अभियुक्त अपने -अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले हैं। जबकि अभियोजन ने 2 मासूम समेत महिला की जघन्य हत्या का हवाला देते हुए अदालत से कठोर दंड दिए जाने की मांग की। अदालत ने उभय पक्ष की दलील और प्रकरण का सूक्ष्म परिशीलन करते हुए कहा कि आरोपियों ने रिश्ते शर्मसार करते हुए साक्ष्य छिपाए हैं,अत: ये दया के पात्र नहीं हैं।
इनका कहना है-
यह अपराध चिन्हित श्रेणी का जघन्य सनसनीखेज अपराध था। न्यायालय द्वारा दी गई सजा उचित है। लोग ऐसे अपराध करने से डरेंगे।
गणेश पांडेय, अतिरिक्त अभियोजन अधिकारी