अश्लील पोस्टर मामला : बोर्ड से फिल्म प्रदर्शन की अनुमति तो सिनेमा मालिक कैसे दोषी

अश्लील पोस्टर मामला : बोर्ड से फिल्म प्रदर्शन की अनुमति तो सिनेमा मालिक कैसे दोषी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-25 15:13 GMT
अश्लील पोस्टर मामला : बोर्ड से फिल्म प्रदर्शन की अनुमति तो सिनेमा मालिक कैसे दोषी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर की एक स्थानीय अदालत ने अश्लील पोस्टर लगाने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे सिनेमाघर मालिक को बरी कर दिया है। मैजिस्ट्रेट ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म लगाने को अनुमति प्रदान की है। इसका मतलब है कि लोगों को यह फिल्म देखने की इजाजत है। इसके अलावा शिकायतकर्ता आरोपी पर लगाए गए आरोपों को साबित करने में विफल रहा इसे देखते सिनेमा मालिक को मामले से  निर्दोष बरी किया जाता है। 

ये है मामला

महानगर निवासी शैलेश यादव ने इस मामले को लेकर इंपीरियल सिनेमा घर के मालिक मोहम्मद सलीम के खिलाफ डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में दावा किया गया था थिएटर के बाहर लगा शार्क का आतंक नाम की फिल्म का पोस्टर बेहद अश्लील है। सिनेमा घर सड़क के करीब है। इसलिए यहां से गुजरनेवाले राहगीर व वाहन चालक खड़े होकर फिल्म का पोस्टर देखने लगते हैं, जिसके चलते न सिर्फ रास्ते पर चलनेवालों को दिक्कत होती है बल्कि सड़क पर भी ट्रैफिक जाम हो जाता है। इससे वाहन चालकों को भी परेशानी होती है। मामले में आरोपी सिनेमाघर के मालिक ने आरोपों को निराधार बताया और उनका खंडन किया। इस बीच मामले की जांच पूरी करने के बाद गिरगांव कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया। 

दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद मैजिस्ट्रेट ने पाया कि फिल्मों के प्रदर्शन को मंजूरी देने के लिए सेंसर बोर्ड का गठन किया गया है। वह फिल्म को ए, यूए अथवा यू प्रमाणपत्र देकर मंजूरी प्रदान करता है। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म (शार्क का आतंक) के प्रदर्शन की मंजूरी दी है। इसका अर्थ है इस फिल्म को लोग देख सकते हैं और सिनेमा घर में इसका पोस्टर लग सकता है। महानगरीय दंडाधिकारी ने अश्लील पोस्टर लगाने को आधार बनाकर की गई। शिकायत को खारिज कर दिया आरोपी को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया। 

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