खराब सड़क से दुर्घटना होने पर ठेकेदार नहीं होंगे जिम्मेदार : बांबे हाईकोर्ट

खराब सड़क से दुर्घटना होने पर ठेकेदार नहीं होंगे जिम्मेदार : बांबे हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-22 16:37 GMT
खराब सड़क से दुर्घटना होने पर ठेकेदार नहीं होंगे जिम्मेदार : बांबे हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सड़क का रखरखाव न करने के चलते होने वाली दुर्घटना के लिए ठेकेदार के खिलाफ "सदोष मानव वध" का मामला नहीं दर्ज किया जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। मामला उरण-फाटा ब्रीज पर हुई सड़क दुर्घटना के बाद सायन-पनवेल टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के चार अधिकारियों से जुड़ा है। इन अधिकारियों ने खुद के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पुलिस ने इनके मामला दर्ज किया था। शिकायत में दावा किया गया था ब्रिज की देखरेख का जिम्मा इस कंपनी को दिया गया था। लेकिन कंपनी ने ब्रिज की ठीक से देखरेख नहीं की। बारिश के बाद ब्रिज पर पर्याप्त तारकोल न डालने के चलते फिसलन नहीं खत्म हुई। जिसके चलते जुलाई 2017 को भीषण सड़क हादसा हुआ। इस दौरान कई गाडिया आपस में टकरा गई थी। हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रुप से घायल हो गए थे। 

याचिका पर सुनवाई

न्यायमूर्ति आरवी मोर और न्यायमूर्ति शालिनी फणसालकर जोशी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने दावा किया कि ब्रिज की देखरेख का जिम्मेदारी जिस कंपनी को दी गई थी, उसे पहले ही पत्र लिखकर कहा गया था कि ब्रिज पर फिसलन है। इसलिए इसे दूर करने के लिए जरुरी कदम उठाया जाए। उन्होंने कहा कि ब्रिज पर इस हादसे के अलावा कई छोटी सड़क दुर्घटनाए हुई है। फिर भी कंपनी ने जरुरी कदम नहीं उठाए। 

कोर्ट ने सुनी दोनो पक्षों की दलील

दूसरी तरफ आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस की जांच दर्शाती है कि ट्रक ड्राइवर के तेज रफ्तार गाड़ी चलाने के चलते हादसा हुआ। पुलिस ने ट्रक ड्राइवर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उनके मुवक्किल का इस हादसे से कोई संबंध नहीं है। वे हादसे से किसी भी रुप से जुड़े हुए नहीं है। सदोष मानव वध का मामला तभी दर्ज किया जा सकता है, जब आरोपी किसी न किसी रुप में हादसे से जुड़ा हो। इसके अलावा उसका इरादा भी संदिग्ध हो। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए कंपनी के चारों अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। 
 

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