कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन परिवारवादी : प्रकाश आंबेडकर

कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन परिवारवादी : प्रकाश आंबेडकर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-27 08:53 GMT
कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन परिवारवादी : प्रकाश आंबेडकर

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कांग्रेस व राकांपा के गठबंधन को भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर ने परिवारवादी कहा है। आंबेडकर के अनुसार दोनों पार्टी में परिवारवाद बढ़ा है। फिलहाल राज्य विधानसभा चुनाव को लेकर भारिप बहुजन महासंघ तीसरा मोर्चा गठन के लिए कन्फर्म है। अन्य दलों को कन्फर्म होना बाकी है। भाजपा व शिवसेना की ओर से निकाली जा रही जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर कहा कि चुनाव के लिए इस तरह की यात्राओं की हमें आवश्यकता नहीं है। वंचित बहुजन आघाड़ी ने पहले से ही जमीनी स्तर पर काम कर रखा है।

एक कार्यक्रम के सिलसिले में शहर में आए आंबेडकर रविभवन में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि अलग अलग तरह से बयान सामने आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में हमारे साथ कौन आएगा और कौन नहीं इस बारे में फिलहाल कुछ कहना उचित नहीं होगा। सीपीएम के एक गुट व सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी के साथ चर्चा शुरू है। 10 अगस्त तक वंचित आघाड़ी की तस्वीर साफ दिखने लगेगी।  

15 अगस्त के बाद विधानसभा के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित होने लगेंगे। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस का राज्य नेतृत्व व केंद्रीय नेतृत्व अलग अलग बोलता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस का राज्य में नेतृत्च परिवारवादी है। कांग्रेस-राकांपा के परिवारवाद के कारण लोकसभा चुनाव में असफलता मिली। गठबंधन के लिए कांग्रेस की ओर से आफर आया है, पत्राचार हुआ है। लेकिन उत्तर समाधानकारक नहीं है।  राजनीतिक दलबदल पर आंबेडकर ने कहा कि विचारधारा की राजनीति में कमी आने के कारण यह हो रहा है। एक दल में रहकर पद व सफलता नहीं मिलते देख नेता दल बदलने लगते हैं। दलबदल की राजनीति कांग्रेस-राष्ट्रवादी में ही नहीं, शिवसेना-भाजपा में भी रही है।

सांसद तडस और जाधव को नोटिस

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को वर्धा के सांसद रामदास तडस, बुलढाणा सांसद प्रताप जाधव और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उनके खिलाफ धनराज वंजारी और बलीराम सिरस्कर ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिकाएं दायर की हैं।  हाईकोर्ट में दलील दी गई है कि, संबंधित लोकसभा क्षेत्र में हुए चुनावों में मतों का मतदाता संख्या से मिलान नहीं हुआ। कई जगह अतिरिक्त मतदान हुआ। बावजूद संबंधित चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाई। याचिकाकर्ता ने ईवीएम मशीनों पर भी संदेह जताया। याचिकाकर्ता ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दलील दी है कि, 1 से 2 प्रतिशत ईवीएम में गलती होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती। इससे करीब 36 हजार वोटों की हेर-फेर होती है। ईवीएम मशीन के कारण अवैध मतों के लिए कोई तंत्र नहीं है। याचिकाकर्ता ने उक्त सांसदों की सदस्यता रद्द करने की प्रार्थना अपनी याचिका में की है। याचिकाकर्ता ओर से एड. निहाल सिंह राठोड़ और चुनाव आयोग की ओर से एड. नीरजा चौबे कामकाज देख रहे हैं। 

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