लॉ कॉलेज और पीजी डिपार्टमेंट के विलय पर असमंजस
लॉ कॉलेज और पीजी डिपार्टमेंट के विलय पर असमंजस
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा संचालित डॉ. बाबासाहब आंबेडकर कॉलेज ऑफ लॉ और विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट विभाग के विलय की तैयारियां हो रही हैं। इसके लिए बाकायदा विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी करके डॉ.बाबासाहब आंबेडकर कॉलेज ऑफ लॉ मैनेजमेंट कमेटी" का गठन किया है। हांलाकि विश्वविद्यालय कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे के हस्ताक्षर से ही यह अधिसूचना बनी है और डॉ.काणे खुद इस कमेटी के अध्यक्ष भी है। लेकिन अब वे स्वयं इस विलय से संतुष्ट नहीं है। भास्कर से बातचीत में उन्होंने साफ किया कि वे इस विलय के खिलाफ है। जल्द ही अधिसूचना को रद्द करके समिति को भी भंग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कॉलेज और पीजी डिपार्टमेंट के विलय से विवि को नुकसान होगा। एक अच्छा भला चल रहा विभाग और उसके शिक्षक विवि के हाथ से चले जाएंगे।
अधिसूचना में ये लिखा है
वैसे तो इस में कमेटी का गठन कॉलेज के मैनेजमेंट और मेंटेनेंस के नाम पर किया गया है। लेकिन कमेटी से जुड़ी अधिसूचना में पंक्ति जोड़ी गई है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यह समिति शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से कॉलेज को विश्वविद्यालय के अन्य पोस्ट ग्रेजुएट विभाग में विलीन करके एक नए शैक्षणिक संस्था के रूप में विकसित करने पर मंथन करेगी। इसी विलय के मुद्दे को लेकर विवि से जुड़ा एक वर्ग नाराज नजर आ रहा है।
मामले में पूर्व सीनेट सदस्य महेंद्र निंबार्ते ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय को अवैध बताया है। निंबार्ते के अनुसार विश्वविद्यालय अधिनियम में इस प्रकार की समिति और उसके अधिकारों का उल्लेख ही नहीं है। नियमानुसार कॉलेज को पीजी विभाग में विलीन नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा होता है तो इससे कई शिक्षकों की नौकरियां जाएगी, रोस्टर बिगड़ जाएगा और अन्य कई समस्याएं होगी। उन्होंने यहां तक कहा कि इस अधिसूचना पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी स्वयं इस निर्णय से सहमत नहीं है। ऐसे में लगता है कि किसी षड़यंत्र के तहत यह कदम उठाया गया है। इसका सीनेट की सभा में विरोध किया जाएगा।