कब खत्म होगा क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट विधेयक का इंतजार, हाईकोर्ट का सरकार से सवाल

कब खत्म होगा क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट विधेयक का इंतजार, हाईकोर्ट का सरकार से सवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-12 15:49 GMT
कब खत्म होगा क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट विधेयक का इंतजार, हाईकोर्ट का सरकार से सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि करीब चार साल मंजूरी की राह देख रहे क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट विधेयक का इंतजार कभी तो खत्म होना चाहिए। अदालत ने कहा कि 2014 में इस कानून का मसौदा बना था। अभी इस मसौदे पर लोगों के सुझाव ही आंमत्रित किए जा रहे आखिर कब इस विधेयक को कानूनी जामा पहनाया जाएगा। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने शुक्रवार को अस्पतालों की ओर से मनमाने तरीके से लिए जानेवाले शुल्क को आधार बनाकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। खंडपीठ ने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि जब तक इस विधेयक को कानूनी मंजूरी नहीं मिलती है, तब तक सरकार अपनी वेबसाइट पर लोगों की मदद के लिए कुछ जानकारी उपलब्ध कराए। जैसे यदि इलाज के बिल का भुगतान न करने पर किसी मरीज को अस्पताल प्रशासन की ओर से बंदी बनाया जाता है तो उसके पास कौन से कानूनी विकल्प हैं।

सरकार इस तरह के मामलों में संवेदनशील नहीं

विवादित बिल के आधार पर मरीज को जबरन अस्पताल में रखने वाले डाक्टरों व अस्पताल प्रशासन के खिलाफ क्या दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। यह जानकारी राज्य की राजभाषा में उपलब्ध कराई जाए। खंडपीठ ने कहा कि इलाज बिल जैसे मामूली विवाद को लेकर लोगों का हाईकोर्ट में आना दर्शाता है कि सरकार इस तरह के मामलों में संवेदनशील नहीं है। जो की बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। खंडपीठ ने कहा कि हम सरकार को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते है। अदालत का काम सिर्फ कानून को लागू करवाना है। 

विभाग के उपनिदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई

इससे पहले सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि सरकार ने इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। कमेटी ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट कानून को लेकर अस्पताल, डाक्टर, बीमा कंपनी व आम लोगों के सुझाव मंगाए हैं। सरकार इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है। उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए अगली सुनवाई के दौरान अदालत को बताएंगे की सरकार ने इस मामले को लेकर और क्या कदम उठाए हैं। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 23 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। 

Similar News