नाबालिग के होने वाले थे सात फेरे - महिला बाल विकास की टीम ने रोका बाल विवाह
नाबालिग के होने वाले थे सात फेरे - महिला बाल विकास की टीम ने रोका बाल विवाह
डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सुनहरा के ग्राम हीरापुर में महिला बाल विकास की टीम द्वारा संपन्न हो रही एक 14 वर्षीय नाबालिग आदिवासी बालिका का विवाह सात फेरे सम्पन्न होने से पहले ही रूकवा दिया गया। तत्संबंध में प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार जिले के कलेक्टर को व्हाट्सप्प के माध्यम से इस बात की सूचना प्राप्त हुई कि हीरापुर में बाहर से आयी एक नाबालिग आदिवासी का अंर्तजातीय विवाह सम्पन्न हो रहा है तथा लड़की खरीद फरोख्त किये जाने की अशंका है ।
सूचना पाते ही टीम हुई रवाना
जिले के कलेक्टर को जब यह जानकारी प्राप्त हुई तो उनके द्वारा तत्संबंध में त्वरित रूप से कार्यवाही के लिये अनुविभागीय दण्डाधिकारी पन्ना बी.बी.पाण्डेय को निर्देशित किया गया। कलेक्टर से निर्देश प्राप्त होने के बाद एसडीएम पन्ना बी.बी. पाण्डेय द्वारा परियोजना अधिकारी एकीकृत बाल विकास पन्ना अशोक विश्वकर्मा को दी गयी तथा तत्काल ही कार्यवाही के लिये निर्देशित किया गया। एसडीएम से प्राप्त निर्देशों के बाद परियोजना अधिकारी पन्ना श्री विश्वकर्मा के नेतृत्व में 19-20 जून की रात्रि को महिला बाल विकास की टीम पन्ना से रवाना हो कर सुनहरा के हीरापुर ग्राम पहुंची जहां पर 14 वर्षीय नाबालिग आदिवासी बालिका जो कि अमानगंज थाना क्षेत्र के ग्राम सिंगौरा की निवासी थी उसका विवाह हीरापुर में उसके नाना के घर में छतरपुर जिले के लवकुश नगर थाना क्षेत्र के लवकुश नगर निवासी सुनील पाल पिता मथुरा पाल के साथ संपन्न हो रहा था ।
हो चुकीं थीं आधी रश्में
रात्रि में डेढ़ बज चुके थे विवाह की आधी रश्मे पूरी हो चुकी थी जिसे महिला बाल विकास की टीम द्वारा तत्काल रोका गया तथा । बाल विवाह कानूनन अपराध है तथा इससे होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी लड़की एवं लड़के पक्ष के लोगों को देते हुये समझाया गया और महिला बाल विकास की टीम द्वारा रात्रि में लड़की माता एवं नाना को समझाइस दी गयी तथा बाल विवाह आगे सम्पन्न न कराया जाये इसके चलते लड़के एवं उसके पिता मथुरा पाल को थाना कोतवाली पन्ना ले जाकर रात्रि में ही सुपुर्द कर दिया गया। आज सुबह 10 बजे बालिका के बयान दर्ज किये तथा लड़के सुनील एवं उसके पिता मथुरा पाल के बयान दर्ज किये गये। परियोजना अधिकारी अशोक विश्वकर्मा ने बताया कि प्रकरण की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि लड़की की खरीद फरोख्त जैसा कोई मामला नही है । आदिवासी लड़की की बड़ी बहिन का पाल परिवार में पूर्व में विवाह किया गया था लड़के एवं लड़की की शादी प्रेम प्रसंग होने के चलते करायी जा रही थी । पूरे मामले में वर पक्ष एवं लड़की पक्ष को समझाइश दी गयी जिन्होने बाल विवाह न करने का वचन दिया । बालिका के द्वारा अपनी पढ़ाई पूरी कर 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरांत शादी कराने की शपथ ली गयी है। बाल विवाह रोकने की इस कार्यवाही में परियोजना अधिकारी विश्वकर्मा के साथ सुपरवाईजर श्रीमती ज्योत्सना श्रीवास्तव, श्रीमती नीलम द्विवेदी, सहायक ग्रेड-03 श्रीमती सविता खरे सहित थाना कोतवाली का पुलिस बल एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।