ग्राहकों के हितों के संरक्षण के लिए बना है यह कानून, रेरा पर हाईकोर्ट में केंद्र की दलील

ग्राहकों के हितों के संरक्षण के लिए बना है यह कानून, रेरा पर हाईकोर्ट में केंद्र की दलील

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-01 17:38 GMT
ग्राहकों के हितों के संरक्षण के लिए बना है यह कानून, रेरा पर हाईकोर्ट में केंद्र की दलील

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में रियल इस्टेटके कामकाज में पारदर्शिता लाने और बिल्डरों की मनमानी पर शिकंजा कसने के लिए बनाए गए रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (रेरा) का बचाव किया है। एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि रेरा कानून एक सुधारात्मक कानून है। इस कानून को व्यापक जनहित को देखते हुए संसद में यह एकमत से पारित किया गया है। इससे पहले इस कानून पर काफी चर्चा हुई। रियल इस्टेट से जुड़े सभी लोगों की बात सुनी गई है। उनकी अपत्तियों और सुझावो पर भी गौर किया गया है। जनता के पक्ष को सुना गया है। यह कानून खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है। सभी कानूनी पहूलओं पर गौर करने के बाद रेरा कानून लाया गया है। इसलिए बिल्डर नहीं कह सकते की उन्हें इस कानून के बारे में जानकारी नहीं थी।

भवन निर्माताओं की याचिका

हाईकोर्ट में रेरा कानून के कई प्रावधानों की वैधानिकता को चुनौती देनेवाली दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। याचिकाएं डीबी रियल्टी सहित भवन निर्माताओं ने दायर की है। याचिका में आनगोविंग प्रोजेक्ट को भी रेरा के तहत पंजीकृत करने के प्रावधान पर आपत्ति जताई गई है। न्यायमूर्ति नरेश पाटील व न्यायमूर्ति राजेश केतकर की खंडपीठ के सामने इन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान श्री सिंह ने कहा कि बिल्डरों से घर खरीदनेवाले सामान्य लोगों के हितों के संरक्षण के लिए रेरा कानून लाया है। क्योंकि कई मामले ऐसे आए है जिसमे भवन निर्माता ने लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। याचिका पर गुरुवार को भी सुनवाई  जारी रहेगी।

बिल्डरों के खिलाफ शिकायतों का शतक पूरा

रियल इस्टेट क्षेत्र की गड़बड़ियों की शिकायत के लिए रेरा कानून के तहत बनाए गए प्राधिकरण के पास आयी शिकायतों ने शतक पूरा कर लिया है। रेरा के पास बिल्डरों के खिलाफ 100 से अधिक शिकायतें पहुंच चुकी हैं। कुछ महीने पहले ही इस कानून को महाराष्ट्र में लागू किया गया है। रेरा के तहत मिली शिकायत के तहत प्राधिकरण ने बुधवार को अपना फैसला भी सुनाया है। जिसके तहत समय पर ग्राहक को फ्लैट का कब्जा न देनेवाले बिल्डर को उसके 24 लाख रुपए वापस करने का निर्देश दिया गया है। यह शिकायत विरार के कमलेश एेलान ने की थी।

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