आत्महत्या के लिए छात्र को उकसाने के मामले में प्राचार्य और चार शिक्षकों के खिलाफ केस रद्द

आत्महत्या के लिए छात्र को उकसाने के मामले में प्राचार्य और चार शिक्षकों के खिलाफ केस रद्द

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-08 11:59 GMT
आत्महत्या के लिए छात्र को उकसाने के मामले में प्राचार्य और चार शिक्षकों के खिलाफ केस रद्द

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कक्षा 10 वीं के एक छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी पुणे के केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य व चार शिक्षकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। छात्र को स्कूल में एक साथी विद्यार्थी के साथ मारपीट करने के लिए पांच दिन के लिए स्कूल से निकाल दिया गया था। इसके बाद छात्र ने एक गड्ढे में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। 

घटना के बाद छात्र के बैग से एक पत्र मिला था। जिसमे छात्र ने अपने आत्मघाती कदम के लिए चार शिक्षकों व प्राचार्य को जिम्मेदार ठहराया था।  इस घटना के बाद छात्र के पिता ने पुणे के देहू रोड इलाके के पुलिस स्टेशन में प्राचार्य व चार शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। 

खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द किए जाने की मांग को लेकर प्राचार्य व चारों शिक्षकों ने अधिवक्ता अनिकेत निकम के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई।

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले के जरुरी है कि पुलिस प्रथम दृष्टया अपने सबूतों से यह दर्शाए कि आरोपियों का आशय छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने का था और आरोपियों की वजह से छात्र ने आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाया है।

पुलिस ने इस मामले में हमारे सामने ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया है। इसलिए आरोपियों को आपराधिक कार्रवाई का सामना करने की जरुरत नहीं है। यह कहते हुए खंडपीठ ने पुणे के केंद्रीय विद्यालय के चार शिक्षकों व प्राचार्य के खिलाफल दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया।  

इससे पहले शिक्षकों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिकेत निकम ने कहा कि पुलिस इस मामले को लेकर जो एफआईआर दर्ज की है उससे कही भी इस बात का जिक्र नहीं है कि मेरे मुवक्किलों ने छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाया है। 

 

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