बजट: जबलपुर के खाते में केवल ग्लोबल स्किल सेंटर
जबलपुर और महाकौशल के लिए नहीं हुई कोई बड़ी घोषणा बजट: जबलपुर के खाते में केवल ग्लोबल स्किल सेंटर
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र सरकार के बजट में न केवल जबलपुर, बल्कि पूरे महाकौशल क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। इससे यहाँ के उद्योगपति निराश हुए हैं। इस बार जबलपुर को बजट से बहुत उम्मीद थी लेकिन एक बार फिर लोगों को निराशा हाथ लगी है। प्रदेश के बजट में जबलपुर के लिए ग्लोबल स्किल सेंटर बनाए जाने घोषणा की गई है। इसके जरिए यहाँ के युवाओं को इंटरनेशनल उद्योगों के हिसाब से कुशल बनाया जाएगा, ताकि क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिल सके। जबलपुर में पहले से ही कौशल विकास केन्द्र खुला हुआ है। इसी को अपग्रेड किया जा सकेगा। हालांकि भोपाल में पहले से ही ग्लोबल स्किल पार्क है। इस बार बजट में ऐसे चार सेंटर बनाए जाने की घोषणा हुई है। इसके साथ ही जबलपुर के हिस्से में नर्मदा प्रगति पथ का हिस्सा भी आएगा। नर्मदा प्रगति पथ के लिए 1047 करोड़ राशि की घोषणा की गई है। इसके अलावा प्रदेश स्तर पर कई बड़ी घोषणाएँ की गई हैं जिनका कुछ न कुछ लाभ मिलेगा। बजट में जबलपुर के उद्योगों को बढ़ावा देने कोई घोषणा नहीं हुई है, न ही औद्योगिक क्षेत्रों के विकास की बात कही गई है। जबलपुर में स्थापित होने वाले विभिन्न क्लस्टरों के लिए भी वित्तीय आवंटन नहीं किया गया है।
बजट से घोर निराशा - जबलपुर चेम्बर
जबलपुर चेम्बर के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने कहा कि बजट से प्रदेश के उद्योगपति एवं व्यापारी वर्ग में घोर निराशा है तथा ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश शासन अर्थव्यवस्था को चलाने वाले व्यवसायी वर्ग के हितों के प्रति संवेदनशील नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट से क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ेगा, क्योंकि जबलपुर एवं महाकौशल क्षेत्र के हितार्थ बजट में कुछ भी नहीं है।
चुनावी बजट -
फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चेम्बर्स के उपाध्यक्ष हिमांशु खरे ने बताया कि चूंकि इस वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव है इसलिए वित्त मंत्री ने सिर्फ वोटरों के बड़े तबके को आकर्षित करने ढेरों सौगातें दी हैं। बजट में जबलपुर में
निवेशरत उद्योग एवं संभावित निवेशकों को आकर्षित करने कुछ भी नहीं किया गया है।
टोल टैक्स एवं पेट्रोल-डीजल -
जबलपुर चेम्बर के उपाध्यक्ष नरिन्दर सिंह पांधे ने कहा कि बजट से ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों को काफी उम्मीदें थीं जैसे कि डीजल की दर को कम करना तथा टोल नाकों पर लिये जाने वाले कर को कम करना जो कि पूरी नहीं हो पाई।
व्यापारिक हितों की अनदेखी-
चेम्बर के कार्यसमिति सदस्य अनिल अग्रवाल, निखिल पाहवा, जितेन्द्र पचौरी, दीपक सेठी, शशिकांत पाण्डेय आदि ने प्रदेश के बजट को उपेक्षापूर्ण निरूपित किया है। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि व्यापारी करदाताओं की अनदेखी सरकार ने की है, कोई नया कर नहीं लगाया है लेकिन प्रदेश की अर्थव्यवस्था का भविष्य भी निश्चित नहीं किया है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
महाकौशल अंचल के लिये कोई भी घोषणा नहीं -
प्रदेश के बजट में महाकौशल अंचल के विकास को ध्यान में रखते हुए उद्योग एवं व्यापार को बढ़ाने हेतु कोई भी
प्रावधान नहीं रखा है। महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा मुख्यमंत्री के नगर प्रवास पर चेम्बर एवं प्रबुद्धजनों से मुलाकात के समय महाकौशल अंचल को आर्थिक गति प्रदान करने हेतु पर्यटन हब के
रूप में विकसित करने एवं बड़े उद्योग स्थापित करने की माँग रखी गई। व्यापारी आपदा कोष बनाने की माँग रखी गई थी जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति देते हुए उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। इससे उद्योग एवं व्यापार जगत में घोर निराशा हुई है। चेम्बर अध्यक्ष रवि गुप्ता, उपाध्यक्ष राजेश चन्डोक, हेमराज अग्रवाल, मानसेवी मंत्री शंकर नाग्देव, कोषाध्यक्ष युवराज जैन गढ़वाल, सहमंत्री अखिल मिश्र, अनूप अग्रवाल, संगठन मंत्री अनिल जैन पाली आदि समस्त पदाधिकारियों ने निराशा वाला बजट निरूपित किया है।
जबलपुर के लिए कोई पैकेज नहीं -
कर अधिवक्ता अभिषेक ध्यानी का कहना है कि इस बार के बजट में जबलपुर के लिए कोई विशेष पैकेज नहीं है, न ही किसी कॉरिडोर की घोषणा की गई है। ऐसी परिस्थितियों में जबलपुर के उद्योग कैसे बढ़ पाएँगे। बढ़ती महँगाई जैसी विकट परिस्थितियों में प्रदेश सरकार चाहती तो चंद पैसों की कमी पेट्रोल-डीजल के मूल्य में करके प्रदेश की जनता को थोड़ी राहत दे सकती थी।
कृषि क्षेत्र के विकास की संभावनाओं का बजट -
अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख भारतीय किसान संघ के राघवेन्द्र सिंह पटेल ने कहा कि बजट में डिफॉल्टर किसानों के ऋण के संबंध में ब्याज चुकाने की बात कही है। साथ ही सरकार ने यूनिटी माल के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ाने की दिशा में अच्छा कदम उठाया है। मोटे अनाज को बढ़ावा देने हेतु मुख्यमंत्री मिलेट योजना में 1 हजार करोड़ की राशि बजट में रखी गई है। इससे प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों के लघु व सीमांत किसानों को फायदा होगा।